Windows XP क्या है 2014 से पहले Best क्यों था?

(introduction of windows XP)

विंडोज एक्सपी (Windows XP):- यह ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जिससे कि माइक्रोसॉफ्ट कार्पोरेशन से बनाया गया था उपयोगकर्ताओं के लिए। यदि आप काफी समय से कंप्यूटर का यूज कर रहे हैं तो आप जरूर विंडोज एक्सपी (Windows XP) से परिचित होंगे। हालांकि यह कोई पुराना उपयोगकर्ता नहीं है जिसने एक्सपी का प्रयोग नहीं किया हो। आज भले ही xp एक इतिहास बन चुका है लेकिन अपनी खास विशेषताओं, फीचर, और उपयोगकर्ता फ्रेंडली होने के कारण इसने लोगों के दिलों में बखूबी जगह बनाई थी।

विंडोज एक्सपी (Windows XP) एक ऑपरेटिंग सिस्टम है। जिसे लोगों ने 2001 में लांच किया था। विंडोज एक्सपी पाठ के सभी पुराने विंडोज वर्जन से सस्ती थी, और उपयोगकर्ता फ्रेंडली भी एक्सपी के आने के बाद कंप्यूटर चलाना और आसान हो गया था। और यही कंप्यूटर की दुनिया में सबसे बड़ा बदलाव साबित हुआ।

आपको यह भी बता दें कि विंडोज एक्सपीरिया का सबसे ज्यादा बिकने वाला उत्पाद था। आज तक का सबसे सफल ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज एक्सपी (Windows XP) ही रहा है। और आज भी इसे कोई एपिसोड टक्कर नहीं दे पाया है। लेकिन 2014 में इसकी सुरक्षा और सहायक प्रणाली खत्म हो गई थी, जिस कारण से यह चलन से बाहर हो गया है।

विंडोज एक्सपी (Windows XP) का इतिहास(History of windows XP):-

विंडोज एक्सपी (Windows XP) की खोज निगम ने सन 2001 में लांच किया था। यह कंप्यूटर के पुराने सभी ऑपरेटिंग वर्जन से एडवांस था, और उपयोगकर्ता फ्रेंडली भी थे। एक्सपी अपने सभी पुराने वर्जन जैसे विंडोज 98, विंडोज एमपी, विंडोज 2000 आदि में सबसे प्रभावशाली था।

विंडोज एक्सपी (Windows XP) को होम यूजर और प्रोफेशनल यूजर दोनों को ध्यान में रखकर बनाया गया था। इसी के अनुरूप इसमें अलग-अलग विशेषताएं भी दी गई थी। विंडोज एक्सपी को रन करने के लिए 1028 एमबी रैम, 1.5 जीबी फ्री स्पेस हार्ड डिस्क और 450 MHZ के प्रोफ़ेसर की जरूरत थी।

एक्सपी में हम कई multi-user भी बना सकते हैं। जिसकी मदद से एक ही उपयोगकर्ता अपनी उपयोगिता के अनुसार अलग-अलग सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर यूज कर रहा था। अगर आप अपने कंप्यूटर किसी और को चलाने के लिए दे रहे हैं तो आप अलग से गेस्ट अकाउंट भी बना कर दे सकते थे। जिससे कि वह सीमित फीचर ही यूज कर सके जो कि आप चाहते हैं।

एक्सपी अच्छी तरह के कार्य करें इसके लिए उसमें फ्री स्पेस और रैम अधिक मात्रा में होना चाहिए। जितना अधिक स्पेस और रैम होगा यह उतना ही अच्छा है बिना रुके काम करता है। एक्सपी मल्टीटास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम था। इसमें हम एक बार में एक से अधिक कार्य एक साथ कर सकते थे।

Windows XP पुराने विंडोज वर्जन से अधिक लोकप्रिय क्यों हुआ? :-

Windows XP क्या है 2014 से पहले Best क्यों था?
Windows XP क्या है 2014 से पहले Best क्यों था?

1. थीम की लोकप्रियता :-

एक्सपी में जो नीला आकाश तो पीछे घास वाला बैकग्राउंड था वह बहुत ही लोकप्रिय हुआ था लोगों ने उसे पसंद किया था।

2. सबसे ज्यादा बिकने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम:-

एक्सपी सभी ऑपरेटिंग सिस्टम में सबसे ज्यादा बिकने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम था। विंडोज एक्सपी (Windows XP) के आने के बाद कंप्यूटर की यूज़ में नई क्रांति का उदय हुआ था। यह पहला ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम था जिसने कंप्यूटर पर लोगों के काम को आसान बनाया, क्योंकि यह यूजर फ्रेंडली ऑपरेटिंग सिस्टम था।

3. विंडोज लाइव मैसेंजर की उपयोगिता:-

इसमें विंडोज लाइव मैसेंजर था जिसने अपने दोस्तों, परिचितों रियल टाइम में टेक्स्ट , वीडियो और ऑडियो के द्वारा बात कर सकते थे। इंटरनेट से कनेक्ट होते यह कार्यक्रम काम करने लगता था।

4. सिस्टम पुनर्स्थापना की सुविधा:-

अगर हमारे सिस्टम में कोई दिक्कत आ जाती है या कुछ गलत हो जाता है तो हम सिस्टम रीस्टोर की मदद से अपने कंप्यूटर को पुरानी कार्यकारी स्थिति में ला सकते थे, जब हमारा कंप्यूटर सही से वर्क कर रहा होता था।

5. गति और अग्रिम प्रदर्शन:-

एक्सपी को इस तरह से डेवलप और डिजाइन किया गया था कि इसकी गति और अग्रिम प्रदर्शन और कार्य करने की क्षमता विंडोज 98 की अपेक्षा 50 %तेज थी।

6. वायरलेस तकनीक:-

विंडोज एक्सपी (Windows XP) को जो लोग लैपटॉप में यूज करते थे उन्हें ब्लूटूथ, वाईफाई आदि की सुविधा दी गई थी। क्योंकि मेमोरी टेक्नोलॉजी का दौरा गया था। और उसे एक्सपी ने एक्सेप्ट कर लिया था।

7. गेमिंग के लिए अच्छा :-

पुराने विंडोज वर्जन की तरह इसमें कोई सीमा नहीं थी। इसलिए लोग अब इसमें गेम खेलने का भी मजा लेने लगे थे। बिना रुके गेमिंग का मजा लिया जा सकता था।

8. आसान स्थापना:-

विंडोज एक्सपी (Windows XP) को इंस्टॉल करना भी बहुत आसान था। इसे आप सीडी, डीवीडी या पेनड्राइव की मदद से आसानी से इंस्टॉल कर सकते थे।

Windows XP की कमजोरी जिसने उसे इतिहास बनने पर मजबूर कर दिया-

एक्सपी के सपोर्टिंग सिस्टम और सिक्योरिटी इतनी कमजोर हो चुकी थी कि लोगों ने इसे प्रयोग करने से मना कर दिया और इसे आउटडेटेड वर्जन बता दिया।

विंडोज एक्सपी (Windows XP) में कंपनी ने वायरस को नष्ट करने वाले सॉफ्टवेयर बनाने बंद कर दिए थे, जिससे इसकी सुरक्षा कमजोर पड़ गई थी और लोगों ने इसका यूज करना बंद कर दिया, और देखते ही देखते एक्सपी लोगों के कंप्यूटर से गायब होने लगा और उसकी जगह windows7 ने ले ली। और आज windows7 की लोकप्रियता बहुत अधिक है।

भले ही कुछ भी हो लेकिन एक्सपी ने लोगों के लिए कंप्यूटर के यूज़ को आसान बना दिया था। आज भले ही विंडोज एक्सपी (Windows XP) इतिहास बन चुका है लेकिन कहीं ना कहीं लोगों के दिलों में उसकी कमी खलती है। ऐसा इसलिए क्योंकि विंडोज की यह पहली ऑपरेटिंग सिस्टम थी।

जिसका लोगों ने बहुत अधिक लाभ उठाया था। इसे इस्तेमाल करना इतना आसान था कि उस समय लोगों ने किसी को भी दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम के पक्ष को बदलने के लिए भी नहीं देखा। उसी समय के साथ माइक्रोसॉफ्ट ने अपने ऑपरेटिंग सिस्टम में भी जरूरी बदलाव लाएं, जिससे आज हम उनके नवीनतम संस्करण windows10 का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन आज तक विंडोज एक्सपी (Windows XP) जितना लोकप्रिय कोई दूसरा नहीं है।

विंडोज एक्सपी (Windows XP) कैसे स्टार्ट करते हैं?:-

जैसे ही आप अपना कंप्यूटर ऑन करते हैं स्क्रीन खुल जाती है इस स्क्रीन को डेस्कटॉप कहते हैं। डेस्कटॉप के नीचे एक नीली पट्टी होती है जिसमें कई सारे बटन होते हैं यह कहलाते हैं टास्कबार। डेस्कटॉप में लेफ्ट साइड में कुछ इमेजेस देख सकते हैं इन्हें आइकंस कहते हैं।

कुछ प्रोग्राम्स डेस्कटॉप पर इन आइकन के रूप में है रखे होते हैं उन्हें डबल क्लिक करके आप सीधे खोल सकते हैं किंतु सारे प्रोग्राम को डेस्कटॉप में रखना मुश्किल होता है। उसके लिए हम स्टार्ट बटन का प्रयोग करेंगे। टास्कबार पर जाइए लेफ्ट में यह स्टार्ट बटन दिखाई देगा। उस पर क्लिक करें इसके क्लिक करते ही यह स्टार्ट मैन्यू खुल जाता है और जो भी प्रोग्राम इसमें है उसकी सूची आपके सामने खुल जाती है। यह जो प्रोग्राम होते हैं अलग-अलग भागों में बंटे होते हैं।

सबसे पहले भाग में यह जो आइटम्स है यह आमतौर पर आप जो प्रोग्राम शुरू करते हैं या यूज मिलाते हैं इनको क्लिक करने से सीधे प्रोग्राम्स पर पहुंच सकते हैं। मान लीजिए इंटरनेट का प्रयोग करना है इंटरनेट पर क्लिक कीजिए इंटरनेट खुल जाएगा। ईमेल पर क्लिक करने पर ईमेल प्रोग्राम खुल जाएगा। उसके नीचे जो आइटम्स है यह प्रदर्शित करते हैं उन प्रोग्राम को जिन पर आपने हाल ही में काम किया है।

कंप्यूटर पर आपने जो भी प्रोग्राम खोले हैं वह यहां पर स्टोर हो जाते हैं। उसके बगल में जो आइटम होते हैं यह आपको शीघ्रता से उस लोकेशन पर ले जाते हैं जो आप अंतर पर प्रयोग में लाते हैं। इसके अंदर आपने जो भी प्रोग्राम से आप फाइल सेव करके रखी हुई है उसके लोकेशंस होती है। मान लीजिए माय कंप्यूटर के अंदर जो भी ड्राइव है क्या प्रोग्राम सेव है उसको क्लिक करने पर आप उन लोकेशन तक पहुंच सकते हैं।

इसके नीचे जो आइटम है उसके द्वारा आप कंप्यूटर की सेटिंग बदल सकते हैं आप सहायता प्राप्त कर सकते हैं सर्च द्वारा आप कोई भी सूचना ढूंढ सकते हैं। या फिर आप प्रोग्राम को रन कर सकते हैं। और अगर आपको स्टार्ट मेन्यू में से कुछ भी नहीं चुनना है तो आप इसके बाहर आकर क्लिक करेंगे तो यह अपने आप चला जाएगा।

और अगर आपको वह चाहिए तो फिर से स्टार्ट बटन पर जाकर खोल सकते हैं। इसमें से स्टार्ट मेनू की सूची में से मान लीजिए एक कोई भी प्रोग्राम जो आपका मन चाहा है वह यहां पर नहीं है तो आपको वह नहीं जाएगा ऑल प्रोग्राम्स में। नीचे जाइए ऑल प्रोग्राम में पहुंचीये जैसे ही प्वाइंटर आप इस पर रखेंगे ऑल प्रोग्राम्स के अंदर की जो सूची है वह आपके सामने खुल जाएगी। अब अपना मनचाहा प्रोग्राम्स आप इस में से चुन सकते हैं।

और आप यहां पर देख पा रहे हैं कि इस प्रोग्राम की सूची में कुछ प्रोग्राम के आगे एरो लगे हुए हैं उसका मतलब क्या है कि उसके अंदर भी कुछ प्रोग्राम है। अगर आपको उन तक पहुंचना है तो साइड में जो मेन्यू खुलता है उसके मदद से आप वहां तक पहुंच सकते हैं। मान लीजिए इसमें आप नोटपैड ढूंढना चाहते हैं अब आपको इस लिस्ट में नोटपैड कहीं नजर नहीं आ रहा है, ऐसे में आप ऊपर की तरफ एक्ससीरिज पर जाए एक्स सीरीज पर जाते ही आपको देखेगा के एक और सूची खुल जाती है। और उस सूची में आप ढूंढो और आपको नोटपैड नजर आ जाएगा।

और मान लीजिए अगर आप जैसे ही अब मैं स्टार्ट मैन्यू ओपन करते हैं तो आपका स्टार्ट मैंन्यू इस स्टाइल का ना हो करके, किसी और स्टाइल का हो तब आप अपने प्रोग्राम्स को कैसे ढूंढ लेंगे इसके बारे में बताते हैं।

मान लीजिए कंप्यूटर सिस्टम में स्टार्ट मैन्यू अलग स्टाइल का है या आप स्टार्ट कर गए और आपके सिस्टम में अलग स्टाइल के स्टार्ट में नहीं खुलता है इसमें भी आपको बाकी सारे प्रोग्राम से नजर आएंगे। लेकिन ऑल प्रोग्राम्स का ऑप्शन आपको नहीं दिख रहा है तो इस स्टाइल में आपको आपके पास ऑप्शन होता है प्रोग्राम्स का इस पर जाएं और जैसे ही इस पर जाएंगे तो साइड में कुछ और प्रोग्राम की मेंन्यू खुल जाएगी।

इस लिस्ट में आपको पूरी लिस्ट नजर नहीं आती है तो आप नीचे की तरफ जाए और एरो पर क्लिक करें और पूरी लिस्ट खुल जाएगी। और अगर आपको नोटपैड खोलना है तो उसी तरह से एक आप एक्स सीरीज पर जाएं और नोटपैड का मैन्यू नजर आएगा उस पर जाकर आप क्लिक करें और नोटपैड खुल जाएगी।

Windows XP Desktop:-

Windows XP क्या है 2014 से पहले Best क्यों था?
Windows XP क्या है 2014 से पहले Best क्यों था?

विंडोज एक्सपी (Windows XP) माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित किया गया ऑपरेटिंग सिस्टम है। जब आप कंप्यूटर पहली बार शुरू करते हैं तो आपको इसका स्क्रीन नीले आसमान और खास की तरह दिखता है। इसी को डेस्कटॉप कहते हैं। डेस्कटॉप सामान्य अंतर फलक है। जिसको सामान्य भाषा में स्टैंडर्ड इंटरफेस बोला जाता है।

आदमी कंप्यूटर से बात इस डेस्कटॉप के जरिए ही करता है। आप इस डेस्कटॉप से वह सब कुछ चला सकते हैं जो आपके इस कंप्यूटर पर उपलब्ध है। जैसे कि माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, तथा इंटरनेट और गेम्स भी खेल सकते हैं। इस डेस्कटॉप के कुछ मुख्य भाग है, जैसे कि यह बाई तरफ स्टार्ट बटन, स्टार्ट बटन आपको मैन्यू खोलने में या एप्लीकेशंस खोलने में मदद करता है।

यहां टास्कबार भी होता है जहां पर विभिन्न प्रकार के अलग-अलग प्रोग्राम्स चल रहे होते हैं और यहां पर डेस्कटॉप जो छोटी-छोटी तस्वीरें दिखती है उन्हें आइकंस बोलते हैं। आप इन आइकन के जरिए भी प्रोग्राम खोल सकते हैं। या किसी ऑब्जेक्ट को एक्सेस कर सकते हैं।

Hardware requirement for windows XP:-

1. Keyboard

2. Mouse

3. Monitor

4. Speaker aur headphone

5. CD -rom OR DVD rom drive

6. Sound card

7. Video adaptor

8. Random access Memory (Ram)

9. Hard disk

10. Processor

1. Keyboard:-

कीबोर्ड एक बहुत ही पॉपुलर और कॉमन इनपुट डिवाइस है। कीबोर्ड का लेआउट टाइपराइटर की तरह ही है। किंतु कीबोर्ड में कुछ एडिशनल की होते हैं। आमतौर पर कीबोर्ड 2 साइज के होते हैं। पहला वह कीबोर्ड जिसमें 84 keys होते हैं। और दूसरा वह है जिसमें 101 /102 keys होती है। किंतु अब जो कीबोर्ड विंडोज और इंटरनेट के लिए अवेलेबल है उसमें 104 या 108 की होती है। तरह-तरह कीkeys को दबाकर डाटा को कंप्यूटर में एंटर किया जाता है।

किसी भी कीबोर्ड का सबसे कॉमन लेआउट क्वीटी है। इससे यह नाम इसीलिए दिया गया है क्योंकि फर्स्ट सिक्स की यानी QWERTY कीबोर्ड में लेटेस्ट की रो में टॉप होती है।

Keyboard क्या है?

2. Mouse:-

माउस विंडोज एक्सपी (Windows XP) का दूसरा हार्डवेयर है। माउस बहुत पॉपुलर कर्सर कंट्रोल इनपुट डिवाइस है। माउस एक छोटा सा बॉक्स होता है। जिसमें सबसे नीचे एक राउंड बॉल होती है और माउस के टॉप पर दो या तीन इंप्रेशन स्विचस होते हैं। माउस का यूज़ स्क्रीन पर एरो को हेरफेर यानी मैन्यू प्लेट करने के लिए किया जाता है।

जब हम माउस को फ्लैट सरफेस पर रोल्ड करते हैं तो हम माउस के कर्सर को स्क्रीन मूव करते हुए देख सकते हैं। एक्स एक्सेस के साथ माउस की मूवमेंट ऐरो के होरिजेंटल के मूवमेंट में हेल्प करती है। जबकि y-axis के साथ माउस की मूवमेंट स्क्रीन पर एरो के वर्टिकल मूवमेंट में हेल्प करते हैं। टेक्स्ट को इंटर करने के लिए माउस का उपयोग नहीं किया जा सकता है बल्कि माउस का यूज़ कीबोर्ड के साथ किया जाता है किसी भी टास्क को परफॉर्म करने के लिए।

3. Monitor:-

यह विंडोज एक्सपी (Windows XP) का तीसरा हार्डवेयर है। मॉनिटर कंप्यूटर सिस्टम का एक अहम आउटपुट डिवाइस है। मॉनिटर में एक कैथोड रे ट्यूब होता है, जिसे शॉर्ट में हम CRT भी कहते हैं। जो कैरेक्टर को आउटपुट के रूप में दिखाता है यानी डिस्प्ले करता है। छोटे-छोटे डाउट से इमेज बनाता है जिसे आमतौर पर पिक्सिज कहा जाता है। जो कि एक रैक्टेंगुलर रूप में व्यवस्थित रहते हैं। किसी भी इमेज की शार्पनेस पिक्सल्स की संख्या पर डिपेंड करते हैं।

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4. Speaker or headphone:-

स्पीकर -स्पीकर जो हम हमारे कंप्यूटर सिस्टम के साथ या हम हमारे घरों में यूज करते हैं वह एक अहम आउटपुट डिवाइस है। जिसके माध्यम से हम तरह तरह के साउंड या ऑडियो को सुनते हैं स्पीकर ट्रांसड्यूसर है जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स को साउंड वेब्स में बदलता है। स्पीकर ऑडियो इनपुट को तरह-तरह के डिवाइसेज जैसे कि कंप्यूटर या फिर ऑडियो रिसीवर से प्राप्त करता है। इनपुट किसी भी फॉर्म में हो सकता है जैसे कि एनालॉग, या फिर डिजिटल फॉर्म में। एनालॉग स्पीकर केवल एनालॉग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स को साउंड वेव्स में बदलता है।

चूंकि साउंड वेब्स को एनालॉग फॉर्म्स में प्रोड्यूस किया जाता है जबकि डिजिटल स्पीकर को पहले डिजिटल इनपुट पोर्ट एनालॉग सिगनल में बदलना होगा, इसके बाद साउंड वेव्स को जनरेट करना होगा।

हेडफोन- हेडफोन को एयर स्पीकर या एयरफोन भी कहा जाता है। हेडफोन या एयर फोन इलेक्ट्रोएकॉस्टिक ट्रांसड्यूसर है जो इलेक्ट्रिकल सिग्नल को क्रशपाडिंग साउंड में कन्वर्ट करता है। हेडफोन की मदद से हम किसी भी ऑडियो या साउंड को प्राइवेटली सुन सकते हैं। अब टेक्नोलॉजी इतनी तेजी से बढ़ रही है जिसकी वजह से एयरफोन की मदद से एक से अधिक यूजर सैम सॉन्ग को सिम डिवाइस पर सुन सकते हैं।

हालांकि हेडफोन सिंगल यूजर के लिए है। हेडफोन साइज में छोटा होता है। और पोर्टेबल होता है। जिस वजह से हेडफोन को अलग-अलग यूजर्स के द्वारा विभिन्न क्षेत्र में यूज किया जा रहा है। यह कॉम्पैक्ट होते हैं इस वजह से इसे तरह तरह के डिवाइजर्स जैसे कि मोबाइल फोन, पोर्टेबल मीडिया प्लेयर ऑडियो mp4 आदि डिवाइसेस में प्ले करके तरह-तरह के ऑडियो को सुन सकते हैं। विभिन्न कार्यों के दौरान।

5.CD-ROM OR DVD-ROM DRIVE:-

सीडी को कंपैक्ट डिस्क और डीवीडी को डिजिटल वीडियो डिस्क कहा जाता है। सीडी और डीवीडी साइज में एक जैसे ही होते हैं। सीडी और डीवीडी दिखते भी एक जैसे ही है। सीडी और डीवीडी दोनों ही पोर्टेबल स्टोरेज और मीडियम है। सीडी और डीवीडी का उपयोग डाटा को स्टोर करने के लिए, किया जाता है। ये साइड में छोटे होते हैं। इस वजह से यह आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पर उपयोग के लिए लाया जा सकता है। या एक डिवाइस में यूज होने के बाद किसी दूसरी जगह दूसरे डिवाइस में यूज किया जा सकता है।

दोनों में सीडी और डीवीडी में डाटा को स्टोर करने की कैपेसिटी अलग-अलग होती है। कॉन्पैक्ट डिस्क की तुलना में डिजिटल वीडियो डिस्क की क्षमता अधिक होती है। एक सीडी में आमतौर पर 700mb डाटा को स्टोर करने की क्षमता होती है जबकि एक डीवीडी में जीबी डाटा को स्टोर करने की क्षमता होती है। डीवीडी में डाटा दोनों साइड में स्टोर होते हैं। पहले साइड में 4 .7 जीबी और दूसरी साइड में 4.7 जीबी डाटा स्टोर होता है। इसीलिए एक डीवीडी आमतौर पर 9. 4 जीबी तक डाटा को स्टोर कर सकता है।

सीडी रोम ड्राइव या डीवीडी रोम ड्राइव ऐसे डिवाइस है जो यूज किए जाते हैं सीडी और डीवीडी डिस्क को रीड करने के लिए। जब हम एक सीडी रोम डिस्को को सीडी रोम ड्राइव में या एक डीवीडी डिस्क ड्राइव में डालकर किसी भी तरह के डाटा को टैक्सेस कर सकते हैं। एक सीडी रोम डिस्क को सीडी रोम ड्राइव में एक डीवीडी डिस्को को डीवीडी रोम में ड्राइव में डाल कर किसी भी तरह की ऑडियो को सुन सकते हैं या फिर किसी भी तरह के वीडियो को देख सकते हैं। तो यह सारी प्रोसेसिंग डीवीडी या सीडी रोम ड्राइव के द्वारा सीडी रोम डिस्क या डीवीडी डिस्क को रीड करने पर ही संभव हो पाता है।

6. Sound card:-

साउंड कार्ड या ऑडियो कार्ड या इंटीग्रेटेड सर्किट यानी आईसी होता है। जो अलग-अलग डिवाइस से जैसे कि लैपटॉप कंप्यूटर, डेस्कटॉप कंप्यूटर आदि में साउंड को प्रोड्यूस करने में हेल्प करता है। जिसे हम आसानी से स्पीकर या हेडफोन या ईयर फोन की मदद से सुन सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि कंप्यूटर सिस्टम में साउंड कार्ड होना ही चाहिए। साउंड कार्ड के बिना भी कंप्यूटर सिस्टम अच्छी तरह से कार्य कर सकता है।

अगर हम हमारे कंप्यूटर सिस्टम में साउंड कार्ड को इंस्टॉल कर लेते हैं तो इससे हमारे कंप्यूटर सिस्टम की साउंड क्वालिटी पहले की तुलना में बहुत हद तक अच्छी हो जाती है। पहले हमें हमारे डिवाइसेज यानी कंप्यूटर या लैपटॉप में साउंड कार्ड को सेपरेट यानी अलग से लगाना पड़ता था किंतु अब यह ऑडियो कार्ड हमारे कंप्यूटर सिस्टम के मदरबोर्ड में या फिर एक्सपेंशन स्लॉट में पहले से ही ऐड होकर आता है। अब हमें इसे अलग से लगवाने की जरूरत नहीं होती।

7. Video adaptor:-

एडेप्टर एक फिजिकल डिवाइस होता है इसकी मदद से दो अलग-अलग प्रकार के फिजिकल डिवाइसेस एक दूसरे के साथ कंफर्टेबल बनाया जाता है सकता है, मतलब हमारे दैनिक जीवन में कई अलग-अलग प्रकार के एडेप्टर से होता है। जैसे मान लीजिए कि हमें हमारे मोबाइल की बैटरी को चार्ज करना है तो इसके लिए हमें बैटरी चार्जर एडिटर की जरूरत होती है अगर हमें हमारे स्मार्टफोन या एंड्रॉयड फोन या टेबलेट पर गेम खेलना हो और इसके अलावा कई तरह की कामों को हम ओटीजी यानी ऑन द गो एडिटर के माध्यम से कर सकते हैं।

वीडियो एडिटर सिस्टम में इंटरफेस का काम करते हैं। यह एडेप्टर एक प्रकार के इंटरफ़ेस से दूसरे टाइप के कनेक्टर को एडेप्ट करते हैं। जैसे विभिन्न प्रकार के वीडियो इंटरफेसे को पोर्टेबल किया जा सकता है। वीडियो सिग्नल को हमारे मॉनिटर तक पहुंचाया जाता है इन एडेप्टर से भी कुछ एडेप्टर कुछ की तुलना में अधिक अच्छा इमेज प्रोवाइड करता है। उनके जरूरत के हिसाब से।

8.RAM :-

रेंडम एक्सेस मेमोरी को शॉर्ट फॉर्म में रैम कहते हैं। रैम डाटा को स्टोर करने के लिए सीपीयू की इंटरनल मेमोरी का निर्माण करती है। रैम एक रीड और राइट मेमोरी है। रेंडम एक्सेस मेमोरी साइज में कंपैक्ट यानी छोटी होती है। इसकी वजन भी बहुत कम होती है। इसीलिए बड़ी आसानी से एक डिवाइस से दूसरी डिवाइसेज में यूज की जा सकती है। किंतु यह काफी एक्सपेंसिव भी हो सकती है। जैसे कि हम जानते हैं कि मार्केट में 4GB रैम की प्राइस और 16GB रैम की प्राइस मैं बहुत बड़ा अंतर हो सकता है।

रैम का यूज़ तरह-तरह के डिवाइस में किया जाता है जैसे कि टेबलेट में स्मार्टफोन में एंड्रॉयड फोंस में सर्विस में कंप्यूटर सिस्टम में और बहुत सारे अन्य डिवाइस में। अगर हम कंप्यूटर सिस्टम की बात करें तो कंप्यूटर मदरबोर्ड के हॉल में प्लग की जाती है। यह हॉल इलेक्ट्रिकल पाठ के जरिए प्रोसेसर से कनेक्ट होते हैं। रैम डेटा या प्रोग्राम को स्टोर करती है, रैम एक वेलाटाइल मेमोरी है। अगर इमको कंटिन्यू पावर ना मिले या या फैलियर होने की स्थिति में यह डाटा या प्रोग्राम को स्टोर नहीं कर सकती है।

मेमोरी (Memory) क्या है?

9.Hard disk:-

हार्ड डिस्क ड्राइव को शॉर्ट फॉर्म में HD कहते हैं। हार्ड डिस्क ड्राइव सन 1956 में आईबीएम के द्वारा इंट्रोड्यूस्ड किया गया था। यह टेक्नोलॉजी 63/65 वर्ष पुरानी है। हार्ड डिस्क में एक या एक से अधिक प्लैटर्स होते हैं। जो कि एक सेंट्रल स्पैंडल लगे होते हैं। पूरी यूनिट शील्ड होती है। एक यूनिट चेंबर में।

डिस्क की कैपेसिटी के आधार पर लेटर्स की संख्या अलग हो सकती है, इनमें से प्रत्येक को प्लैटर्स और ट्रैक में डिवाइड किया गया होता है। प्रत्येक प्लैटर का एक मूएबल हेड होता है जो कि उसके दोनों साइड में अटैच होते हैं। हार्ड डिस्क और ड्राइव एक सिंगल यूनिट है। मोटर जो कि हार्ड डिस्क प्लैटर को घुमाते हैं और रीड राइट हेड का एक इंक्लूड होता है।

मेमोरी (Memory) क्या है?

10. Processor:-

प्रोसेसर जिसे सीपीयू यानी सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट सेंट्रल प्रोसेसर या माइक्रोप्रोसेसर सीपीयू के नाम से भी इसे जाना जाता है। प्रोसेसर या सीपीयू इसे हम कंप्यूटर के ब्रेन के रूप में भी जानते हैं। प्रोसेसर भी 39 से 40 साल पुरानी टेक्नोलॉजी है। इसे इंटेल ने1971 में सबसे पहले पहला सिंगल चीफ माइक्रो प्रोसेसर के रूप में डिजाइन किया था।

प्रोसेसर किसी भी कंप्यूटर के लिए चाहे वह डेस्कटॉप कंप्यूटर हो लैपटॉप हो या फिर मोबाइल हो या फिर टेबलेट हो, सभी के लिए यह एक बहुत महत्वपूर्ण कॉम्पोनेंट्स है। जो कि कंप्यूटर के माइंड के रूप में काम करता है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रोसेसर के पास कंप्यूटर के अंदर होने वाली सारी एक्टिविटीज की इंफॉर्मेशन होती है। प्रोसीजर इन सारी चीजों को कंट्रोल करता है। प्रोसेसर एक टाइम में ट्रिलियंस ऑफ कैलकुलेशन को प्रोसेस कर सकता है।

सीपीयू के इंटरनल पार्ट की स्पीड को हट्ज में मेजर किया जाता है। चिंटू मॉडर्न प्रोसेसर अफसर इतनी तेजी से चलते हैं कि सीपीयू के इंटरनल पार्ट्स की स्पीड को हट्स की बजाए गीगाहर्टज मेजर में किया जाता है। प्रोसेसर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच हो रहे इंटरपलेशन को सबसे पहले समझता है फिर उस पर प्रोसेस करता है और इसके बाद हमें आउटपुट देता है।

विंडोज एक्सपी (Windows XP) की विशेषताएं एवं इसके एलिमेंट्स:-

Windows XP क्या है 2014 से पहले Best क्यों था?
Windows XP क्या है 2014 से पहले Best क्यों था?

Windows XP की विशेषताएं:-

1. विंडोज एक्सपी (Windows XP) ज्यादा तेज, ज्यादा सुव्यवस्थित तथा ज्यादा सुरक्षित है।

2. विंडोज एक्सपी (Windows XP) सीखने में और प्रयोग करने में सहज है।

3. विंडोज एक्सपी (Windows XP) प्रत्येक कार्य के लिए ज्यादा अच्छा सहायता प्रदान करता है।

4. विंडोज एक्सपी (Windows XP) में built-in फोटो शेयरिंग और ऑर्गनाइजेशन उपलब्ध है।

5. संगीत, वीडियो और डी वी डी, सीडी को चलाया जाता है।

6. विंडोज एक्सपी (Windows XP) शक्तिशाली और व्यावहारिक नेटवर्क प्रदान करता है।

7. विंडोज एक्सपी (Windows XP) विश्वसनीय अनुकूल है।

8. विंडोज एक्सपी (Windows XP) सर्वव्यापी है।

9. विंडोज एक्सपी (Windows XP) बिजाई प्रदान करता है।

10. विंडोज एक्सपी (Windows XP) ज्यादा सुरक्षित और व्यवस्थित करने में सहज होता है।

घटक(element):-

विंडोज में अनेक प्रकार के घटक शामिल होते हैं-

1. विंडोज डेस्कटॉप:-

विंडोज चालू होने के ठीक बाद जो स्क्रीम दिखे उसे डेस्कटॉप कहते हैं।

2. आईकॉन:-

आइकॉन एक प्रोग्राम या फाइल का छोटा ग्राफिकल प्रतिनिधित्व है।

*normal icon

*shortcut icon

3. स्टार्ट मेनू:-

स्टार्ट मेनू टास्कबार की बाय ओर मौजूद बटन को कहा जाता है।

4. फाइल और फोल्डर:-

प्रत्येक कार्य फाइल या फोल्डर स्टोर किए जाते हैं।

5. विंडोज:-

डेस्कटॉप के अंदर विंडोज एक फ्रेम है जो फाइलों और प्रोग्रामों को प्रदर्शित करता है।

Features of windows XP:-

1.Plug and play:- Windows XP

प्लग एंड प्ले एक बहुत अच्छा फीचर है विंडोज का। जो हार्डवेयर से प्रिंटर, स्पीकर, पेन ड्राइव आदि को ऑटोमेटिक डिटेक्शन और कंफीग्रेशन की इजाजत देती है। आमतौर पर प्लग एंड प्ले कंप्यूटर इक्विपमेंट या हार्डवेयर को डिस्क्राइब करने के लिए यूज किया जाता है। एग्जांपल की अगर बात करें प्लग एंड प्ले कि तो जैसे प्रिंटर, स्पीकर पेन ड्राइव आदि को जब हम कंप्यूटर में प्लग करते तो यह ऑटोमेटिक रेडी हो जाता है। यूज होने के लिए, और हम तरह-तरह के टास्क को परफॉर्म कर सकते हैं।

2.multitasking:- Windows XP

कंप्यूटर सिस्टम में विंडोज की वजह से ही हम अपने कंप्यूटर सिस्टम में मल्टीपल यानी एक से अधिक टास्क को परफॉर्म कर पाते हैं। एग्जांपल की अगर बात करें मल्टीटास्किंग कि तो , जब हम अपने कंप्यूटर सिस्टम पर एक टाइम में किसी एप्लीकेशन जैसे एमएस वर्ड ,एमएस एक्सल ,एमएस पावरप्वाइंट ,आदि पर काम कर सकते हैं म्यूजिक को सुनने के साथ-साथ।

3. Multimedia support:- Windows XP

मल्टीमीडिया सपोर्ट बहुत अहम फीचर है। विंडोज एक्सपी (Windows XP) का इसमें विंडोज मीडिया प्लेयर शामिल है जिसकी मदद से हम लगभग हर एक तरह की मल्टीमीडिया फाइल को प्ले कर सकते हैं। एग्जांपल की अगर बात करें तो विंडोज एक्सपी (Windows XP) में मल्टीमीडिया सपोर्ट होने की वजह से ही हम म्यूजिक सुन सकते हैं, और वीडियो देख सकते हैं।

4. Filmstrip view:- Windows XP

फिल्म स्ट्रीप व्यू एक बहुत ही अच्छा फीचर है। फिल्म स्ट्रिप व्यू की मदद से हम फाइल्स को बैटर ऑल एफिशिएंट वे में देख सकते हैं। हालांकि फिल्म स्ट्रिप एक टूल बार बटन होता है जिसकी मदद से हम प्रीवियस और नेक्स्ट पिक्चर को सेलेक्ट करके काम कर सकते हैं या फिर सिलेक्टेड पिक्चर के साथ भी काम कर सकते हैं। हम अपने पिक्चर को फिल्म्सट्रिप के रूप में किसी भी माय पिक्चर फोल्डर या फिर किसी भी फोल्डर में पिक्चर फोल्डर के रूप में अनुकूलित देख सकते हैं।

5. Windows firewall:- Windows XP

विंडोज फायरवॉल विंडोज एक्सपी (Windows XP) का एक बहुत अच्छा फीचर है। विंडोज फायरवॉल प्रोटेक्शन हमारे कंप्यूटर सिस्टम को तरह-तरह के वायरस से प्रोटेक्ट करता है। फायरवाॅल कंपोनेंट है माइक्रोसॉफ्ट विंडोज का। इसे पहली बार विंडोज एक्सपी (Windows XP) और विंडोज 2003 में इंक्लूड किया गया था। लेकिन अब विंडोज फायरवॉल को विंडोज डिफेंडर फायरवाॅल के नाम से भी जाना जाता है।

6.Remote Desktop:- Windows XP

रिमोट डेस्कटॉप एक स्पेशल फीचर या प्रोग्राम है। विंडोज का जो यूजर को किसी अन्य स्थान पर कंप्यूटर को कनेक्ट करने की अनुमति देता है। की वह उस कंप्यूटर का डेस्कटॉप देखें और उसके साथ इंटरेक्ट करें। हालांकि यह सारी प्रोसेसिंग नेटवर्क के थ्रू ही संभव हो पाती है।

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Windows XP क्या है 2014 से पहले Best क्यों था?
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7. Disk manager utility:-Windows XP

विंडोज एक्सपी (Windows XP) का यह फीचर हमें हमारे कंप्यूटर सिस्टम में इनस्टॉल डिस्क ड्राइव और उन ड्राइव से एसोसिएट पार्टीशंस को देखने और उनको मैनेज करने में हेल्प करता है। एग्जांपल की अगर बात करें डिस्क मैनेजर रिलेटिव की तो इसकी मदद से हम हमारे कंप्यूटर सिस्टम में इनस्टॉल डिस्क ड्राइव को अलग-अलग पार्ट में डिवाइड कर सकते हैं। या कह सकते हैं पार्टीशंस कर सकते हैं।

8. Disk Defragmenter utility:- Windows XP

यह डिस्क पर फ्री एरिया को बनाने के लिए डिस्क के कंटेंट को रीलोकेट करती है और इस तरह मेमोरी को रेड्यूज करती है। डिस्क डिब्रेडमेंट एक बहुत अच्छा फीचर है । डिस्क रिफ्रेशमेंटर का यूज़ हार्ड डिस्क की स्पीड को इनक्रीस करने के लिए।

9. Disc compression utility:- Windows XP

विंडोज एक्सपी (Windows XP) की डिस्क कंप्रेंशन पिक्चर का यूज़ स्थिर और हटाने योग्य डिस्क को कांफ्रेंस करने के लिए और उनमें स्टोरेज स्पेस को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

10. Windows security centre:- Windows XP

विंडोज सिक्योरिटी सेंटर विंडोज एक्सपी (Windows XP) का एक बहुत ही अहम फीचर। जो यूजर को कंप्यूटर के लिए सिक्योरिटी सेटिंग को इजली डिफाइन करने और मैनेज करने में सक्षम बनाता है। अगर इसके उदाहरण की बात करें तो मान लीजिए अगर हमें अपने कंप्यूटर सिस्टम को पासवर्ड प्रोटेक्टेड रखना है अनऑथराइज्ड एक्सेस से तो इसके लिए सुविधाएं हमें विंडोज ही प्रोवाइड करते हैं।

11. Object linking and embedding (ole):- Windows XP

विंडोज एक्सपी (Windows XP) के इस फीचर का उपयोग एक प्रोग्राम के एक पाठ को दूसरे प्रोग्राम में एंबेड और लिंक करने के लिए किया जाता है। लिंकिंग और एंबेडिंग के उदाहरण की बात करें तो जैसे मान लीजिए कि हमारे सोशल मीडिया जैसे फेसबुक या व्हाट्सएप की कुछ कंटेंट को, या कुछ इमेल कोड को अपने पोस्ट पर लगा लाया जोड़ना ही एंबेडिंग कहलाता है।

12. Support virtual memory:- Windows XP

वर्चुअल मेमोरी ऑपरेटिंग सिस्टम की एक पार्ट होती है। जिसकी मदद से हम हमारे कंप्यूटर सिस्टम पर कई एप्लीकेशंस को चला सकते हैं।