Memory Kya Hai – मेमोरी वह यूनिट है, जिसमें किसी भी डाटा कमांड या प्रोग्राम को स्टोर करके रखा जाता है, इस कारण मेमोरी को स्टोरेज डिवाइस भी कहा जाता है।
मेमोरी को मुख्य रूप से दो भागों में डिवाइड किया गया है:-
- 1.Main Memory
- 2. Auxiliary Memory
Main Memory Kya Hai
मेन मेमोरी( Memory) को हिंदी में मुख्य मेमोरी भी कहा जाता है। इस2.से इंटरनल मेमोरी भी कहा जाता है। इंटरनल मेमोरी इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सीपीयू का भाग होता है। मेन मेमोरी की स्टोरेज कैपेसिटी बहुत कम होती है। तथा इसकी स्पीड बहुत अधिक होती है, इस कारण मेन मेमोरी का कीमत बहुत अधिक होता है।
सूचना की सबसे छोटी इकाई बिट है। मेमोरी को मुख्य रूप से मेगा बाइट/या किलोबाइट में मापा जाता है।

मेन मेमोरी के प्रकार (types of main memory):-
मेन मेमोरी दो प्रकार के होते हैं:-
1.RAM
रैम का पूरा नाम रेंडम एक्सेस मेमोरी (random access Memory) है।
यह एक चीप है, जो मेटल ऑक्साइड सेमी कंडक्टर से बनी हुई होती है। यह अस्थाई मेमोरी है। जिसको वोलेटाइल मेमोरी भी कहते हैं। अस्थाई मेमोरी इसलिए कहा जाता है क्योंकि रैम में जो भी डाटा रहता है, अगर हम बिजली को बंद कर दे तो ram में उपस्थित डाटा नष्ट हो जाता है। इसे रीड एंड राइट किया जा सकता है। इसके स्टोरेज कैपेसिटी बहुत कम होती है, और इसके स्पीड की बात करें तो बहुत अधिक होती हैं। इस कारण से ram महंगे होते हैं।
RAM के प्रकार:-
1 SRAM (static random access Memory)
2. DRAM(dynamic random access Memory)
2.ROM
रोम का पूरा नाम है रीड ओनली मेमोरी है। इसे केवल पढ़ा जा सकता है। अर्थात जिसे केवल पढ़ा जाता है। यह स्थाई मेमोरी होते हैं। इसे Non volatile memory मेमोरी भी कहते हैं। स्थाई का मतलब यह है कि रोम में जो भी डाटा रहता है उसका कंप्यूटर निर्माता जा जो कंप्यूटर का निर्माण करता है तो उसको उसी टाइम डाला जाता है और इसमें बिजली बंद होती है तो डाटा नष्ट नहीं होती है। इस कारण इसे स्थाई मेमोरी कहते हैं।
रोम के प्रकार (types of ROM)
1.PROM:-इसका पूरा नाम है, programmable Read only memory हैं।
2.EPROM:-इसका पूरा नाम है, Erasable programmable read only memory हैं।
3.EEPRO:-इसका पूरा नाम है, electrical erasable programmable read only memory हैं।
4. Flash ROM
2. Auxiliary Memory
एक ऑग्ज़ीलियरी मेमोरी कंप्यूटर में लोवेस्ट कॉस्ट ,हाईएस्ट कैपेसिटी , और स्लो वेस्ट एक्सेस स्टोरेज के रूप में जानी जाती है।यह वह जगह होती है जहां पर हमारा प्रोग्राम और डाटा लॉन्ग टर्म स्टोरेज, यानी लंबे समय के लिए स्टोर रहता है। ना की इसका यूज हम इमीडीएटली के लिए करते हैं।
Auxiliary मेमोरी को सहायक में मेमोरी भी कहते हैं। ऑग्ज़ीलियरी मेमोरी को सेकेंडरी मेमोरी या बाहृय मेमोरी कहां जाता है। ऑग्ज़ीलियरी मेमोरी की कैपेसिटी बहुत अधिक होती है। अगर हम स्पीड की बात करें तो इसके स्पीड बहुत कम होती है। मेन मेमोरी की अपेक्षा में इसके स्पीड बहुत कम होते हैं। और यह सस्ते होते हैं।
ऑग्ज़ीलियरी मेमोरी के उदाहरण-
Magnetic disk:-मैग्नेटिक डिस्क एक सर्कुलर प्लेट है, जो मैग्नेटाइट मटेरियल के साथ प्लास्टिक कोटेड अथवा मेटल से बनाई गई होती हैं। प्रत्येक सरफेस पर राइट हेड के साथ एक स्पिंडल पर कई डिस्क यानि सेवरल डिस्क एक साथ हो सकते हैं।
1.Disk rotate -सभी डिस्क हाई स्पीड पर एक साथ रोटेट होते हैं और एक साथ एक्सेस से स्टार्ट नहीं किया जा सकता। Concentric circles के साथ स्पोर्ट्स में मैग्नेटिक सतह पर यानी magnetized सरफेस पर स्टोर किया जाता है। इसे ट्रैक्स कहते हैं।
2.The tracks are commonly:-ट्रैक सेक्शन में डिवाइड होता है इसे हम सेक्टर कहते हैं। जब हमारी डिस्क का सरफेस होता है उसको हम दो भागों में डिवाइड कर सकते हैं। ट्रैक एंड सेक्टर में।
कुछ यूनिट जो सिंगल read/write सरफेस के लिए सिंगल रीड राइट का यूज़ करते हैं। इस टाइप के यूनिट में पढ़ने लिखने के लिए स्पेसिफाइड ट्रैक जो होती है उसमें हेड को ट्रांसफर यानी मूव करने के लिए एक मैकेनिकल असेंबली द्वारा ट्रैक बेस का यूज किया जाता है।
जबकि अदर डिस्क में जो हैड है उससे ट्रक के लिए सेपरेट प्रोवाइड किया गया होता है।
इस डिस्क में परमानेंट टाइमिंग ट्रैक्स का यूज किया जाता है। डिस्क को synchronize करने के लिए सेक्टर को रिकॉग्नाइज करने के लिए।
A disk system में जो डिस्क का सिस्टम है वह एड्रेस बीट के द्वारा स्पेसिफाई किया जाता है जो डिस्क नंबर, डिस्क सरफेस, सेक्टर के अंदर स्पेसिफाई करता है। रीड राइट के अंदर हमारे डेस्क तब तक रोटेट करते हैं जब तक की वह स्पेसिफाई ट्रैक्स तक ना पहुंच जाए।
इंफॉर्मेशन ट्रांसफर बहुत ही फास्ट ट्रांसफर होती है। जब एक बार हमारा सेक्टर जो वहां तक पहुंच जाता है। डिस्क के पास बहुत सारे हेड होते हैं और हमारा इंफॉर्मेशन जो है उससे ट्रांसफर बिट्स सेवरल टैक्स पर सेम टाइम पर ट्रांसफर होते हैं।
फ्लॉपी डिस्क के साथ हमारे डिस्क ड्राइव यूज़ की जाती है वह डिस्क को आसानी से रिमूव करती है। जो कि किसी मैग्नेटिक मटेरियल के द्वारा कोटेड होती है। फ्लॉपी डिस्क का यूज़ पर्सनल डिस्क में करते हैं।

Auxiliary memory के डिवाइस:-
1.CD
2.DVD
3.HD
4.Floppy disk
5.Pan drive
6. Magnetic tape
7.Blue ray disk
प्राइमरी मेमोरी क्या होती है?:-
प्राइमरी मेमोरी कंप्यूटर के मुख्य मेमोरी होती हैं। इस मेमोरी को टेंपरेरी मेमोरी भी कहते हैं। यह मेमोरी कंप्यूटर इंटरनल मेमोरी होती है। इसे वोलेटाइल मेमोरी भी करते हैं। क्योंकि जब तक बिजली इस मेमोरी में रहती है तब तक इस में रखा गया डाटा सेव रहता है, लेकिन जैसे ही बिजली बंद हो जाती है तो इस मेमोरी में रखा गया डाटा डिलीट हो जाता है।
प्राइमरी मेमोरी के प्रकार(types of primary memory):-
1.Ram (Random access Memory)
2.ROM (Read only memory)
1.RAM(Random access Memory):-
इस मेमोरी को कंप्यूटर का अस्थाई मेमोरी कहते हैं। इसमें कोई भी डाटा स्टोर नहीं रहता है, जब तक कंप्यूटर ऑन रहता है तब तक रैम में डाटा या प्रोग्राम अस्थाई रूप से संग्रहित रहता है, और कंप्यूटर प्रोसेसर आवश्यक डाटा प्राप्त करने के लिए इस डेटा का उपयोग करता है। और जैसे ही आप कंप्यूटर शट डाउन करते हैं वैसे ही सारा डाटा डिलीट हो जाता है। इस रैम को volatile memory भी कहते हैं।
रैम के प्रकार(types of RAM):-
रैम तीन प्रकार के होते हैं:-
1. डायनामिक रैम(dynamic Ram):-
इसे DRAM के नाम से जाना जाता है। DRAM में डाटा मेमोरी सेल में स्टोर होता है। प्रत्येक मेमोरी सेल में एक ट्रांजिस्टर और एक कैपेसिटर होता है। जिसमें थोड़ा-थोड़ा डाटास्टोर किया जाता है, लेकिन लगभग 4 मिली सेकंड बाद मेमोरी सेल नियंत्रक मेमोरी को रिफ्रेश करते रहते हैं। रिफ्रेश करने का अर्थ है कि वह डाटा को री राइट करते हैं । इसलिए DRAM काफी धीमी होती है। लेकिन यह अन्य मेमोरी के मुकाबले कम बिजली खाती है और लंबे समय तक खराब नहीं होती है।
2. सिंक्रोनस रैंम(synchronous Ram):-
सिंक्रोनस रैंम DRAM से ज्यादा तेज होती है। इसका कारण यह है कि DRAM से ज्यादा तेजी से रिफ्रेश होती है, सिंक्रोनस रैम CPU clock speed के साथ रिफ्रेश होती है, इसलिए ज्यादा तेजी से डाटा स्थानांतरित कर पाते हैं।
3. स्टैटिक रैम (static RAM):-
इसे SRAM के नाम से जाना जाता है। स्टेटस रैम कम रिफ्रेश होती है, लेकिन यह डाटा को मेमोरी में अधिक समय तक रख पाती है। यह डाटा को तब तक स्टोर रखती है जब तक सिस्टम को करंट मिलता रहता है, यह बहुत तेजी से डाटा को एक्सेस करती है। स्टैटिक रैम को जब तक रिफ्रेश नहीं किया तब तक डाटा स्टोर रहता है।इसे cache ram भी कहते हैं।
2.ROM(Read only memory):-
यह एक अस्थाई मेमोरी है। इसका पूरा नाम रीड ओनली मेमोरी होता है। इसको तैयार करते समय जो डाटा या प्रोग्राम डाले जाते हैं वह खत्म नहीं होते हैं। कंप्यूटर का स्विच ऑफ होने के बाद भी रोम में संग्रहित डाटा नष्ट नहीं होता है।
Rom के प्रकार:-
1.PROM(programmable read only memory):-
PROM मेमोरी में केवल एक बार ही डाटा स्टोर किया जा सकता है,यानि इसे मिटाया नहीं जा सकता है और ना ही बदला जा सकता है।
2.EPROM(erasable programmable read only memory):-
EPROM का पूरा नाम इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी होता है। यह प्रोम की तरह ही होता है, लेकिन इसमें संग्रहित प्रोग्राम को पराबैगनी किरणों के द्वारा ही मिटाया जा सकता। और नए प्रोग्राम संग्रहित किए जा सकते हैं।
3.EEPROM(electrical programmable read only memory):-
EEPROM का पूरा नाम इलेक्ट्रिकल इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ओनली मेमोरी होता है। एक नई तकनीक ई ई प्रोम भी है। जिसमें मेमोरी से प्रोग्राम को विद्युतीय विधि से मिटाया जा सकता है।

सेकेंडरी मेमोरी क्या है?:-
Secondary memory device को Auxiliary स्टोरेज डिवाइस भी कहा जाता है। यह कंप्यूटर का भाग नहीं होती है। इसको कंप्यूटर में अलग से जोड़ा जाता है। इसमें जो डाटास्टोर किया जाता है वह स्थाई होता है।
अर्थात कंप्यूटर बंद होने पर इसमें स्टोर डाटा डिलीट नहीं होता है। आवश्यकता के अनुसार इस को भविष्य में इसमें से फाइल या फोल्डर को खोल कर देख सकते हैं। या इसमें सुधार कर सकते हैं। एवं इसको यूजर के द्वारा डिलीट भी किया जा सकता है।
इस की स्टोरेज क्षमता अधिक होती है। सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस में प्राइमरी मेमोरी के अपेक्षा कई गुना अधिक डाटा स्टोर करके रख सकते हैं। जो कि स्थानांतरणीय होता है। एवं डाटा को एक्सेस करने की गति प्राइमरी मेमोरी से धीमी होती है। सेकेंडरी मेमोरी में फ्लॉपी डिस्क, हार्ड डिस्क, कंपैक्ट डिस्क, ऑप्टिकल डिस्क, मेमोरी कार्ड, पेनड्राइव, आदि आते हैं।
हार्ड डिस्क(hard disk):-
हार्ड डिस्क या HDD एक ही बात है यह एक फिजिकल डिस्क होती है। जिनको हम अपने कंप्यूटर की सभी छोटी-बड़ी फाइल्स स्टोर करने के लिए प्रयोग करते हैं। हार्ड डिस्क और रैम में यह फर्क होता है कि हार्ड डिस्क वह चीज है जो रिस्टोर करने के काम में आती है, लेकिन रैम उस स्टोरेज में रखी चीजों को चलाने के काम में आता है।
जब हम कंप्यूटर को बंद करते हैं तोRAM मैं पड़ी कोई भी चीज साफ हो जाती है। लेकिनHDD में कंप्यूटर बंद होने पर भी डाटा इरेज नहीं होता।
हार्ड डिस्क के अंदर एक डिस्क घूमती है, डिस्क जितनी तेज बनती है उतनी ज्यादा तेजी से यह डाटा को स्टोर या रीड कर सकती हैं। हार्ड डिस्क के घूमने की स्पीड को हम आरपीएम में मापते हैं। ज्यादातर हार्ड डिस्क 5400 RPM या 7200 RPM की होती है। जाहिर सी बात है 7200 RPM की हार्ड डिस्क 5400 RPM वाले से ज्यादा तेज होती है।।
संरचना एवं कार्य विधि:-
हार्ड डिस्क चुंबकीय डिस्क से मिलकर बनी होती है। इसमें डाटा को पढ़ने एवं लिखने के लिए एक हेड होता है। हार्ड डिस्क में एक सेंट्रल सॉफ्ट होती है। जिसमें चुंबकीय डिस्क लगी रहती है। हार्ड डिस्क की ऊपरी सतह पर एवं निचली सतह पर डाटा को स्टोर नहीं किया जाता है। बाकी सभी सतहों पर डाटा को स्टोर किया जाता है। डिस्क की प्लेट में ट्रेक एंड सेक्टर होते हैं। सेक्टर में डाटा स्टोर होता है, एक सेक्टर में 512 बाइट डाटा स्टोर होता है।
डाटा को स्टोर एवं पढ़ने के लिए तीन तरह के समय लगते हैं जो निम्न है:–
1. Seek time:-
डिस्क में डाटा को read-write करने वाले ट्रैक तक पहुंचने में लगा समय सीक टाइम कहलाता है।
2.Latency time :- track में डाटा के सेक्टर तक पहुंचने में लगा समय लेटेंसी टाइम कहलाता है।
3.Transfer Rate :- sector में डाटा को लिखने एवं पढ़ने में जो समय लगता है उसे ट्रांसफर रेट कहा जाता है।
फ्लॉपी डिस्क(floppy disk):-
यह प्लास्टिक की बनी होती है। जिस पर फेराइट की परत चढ़ी रहती है। यह बहुत ही लचीली प्लास्टिक की बनी होती है। इसलिए से फ्लॉपी डिस्क कहते हैं। जिस पर प्लास्टिक का कवर होता है जिसे जैकेट कहते हैं, फ्लॉपी के बीचो बीच एक पॉइंट बना होता है जिससे इस ड्राइव की डिस्क घूमती है। इसी फ्लॉपी डिस्क में 80 डाटा ट्रैक होते हैं।
और प्रत्येक ट्रैक में 64 शब्द स्टोर किए जा सकते हैं। यह मैग्नेटिक टेप के समान कार्य करती है, जो 360 आरपीएम प्रति मिनट की दर से घूमती है। जिससे इसकी रिकॉर्डिंग हेड के खराब हो जाने की समस्या उत्पन्न होती है।
मैग्नेटिक टेप(magnetic tape):-
मैग्नेटिक टेप भी एक स्टोरेज डिवाइस है, जिसमें एक पतला फीता होता है जिस पर मैग्नेटिक Ink की कोडिंग की जाती है। इसका प्रयोग एनालॉग तथा डिजिटल डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है। या पुराने समय के ऑडियो कैसेट की तरह होता है। मैग्नेटिक टेप का प्रयोग बड़ी मात्रा में डाटा स्टोर करने के लिए किया जाता है। जो सस्ते होते हैं आज भी इसका प्रयोग डाटा का बैकअप तैयार करने के लिए किया जाता है।
ऑप्टिकल डिस्क(optical disk):-
Optical disk एक चपटा, वृताकार डिस्क होती है,जिस पर डाटा एक फ़्लैट सतह के अन्दर पिट्स के रूप में स्टोर किया जाता है। इसमें डाटा को optical के द्वारा store किया जाता है।
Optical disk दो प्रकार के होते हैं:-
1.CD:- Compact Disk
सबसे पहले बात करते हैं सीडी की ,CD को compact disk के नाम से जाना जाता है।ये एक ऐसा ऑप्टिकल मीडियम होता है जो हमारे डिजिटल डाटा को सेव करता है। एक समय था जब हम रील वाले कैसेट प्रयोग करते थे। सीडी के अविष्कार ने ही बाजार में कैसेटों को पूरी तरह से खत्म कर दिया।
एक स्टैंडर्ड सीडी में करीब 700एमबी का डाटा सेव किया जा सकता है। सीडी में डेटा डाॅट के फार्म में सेव होता है। दरअसल सीडी drive में लगा हुआ लेजर सेंसर सीडी के डाॅट से रिफ्लेक्ट लाइट को पढ़ता है। और डिवाइस में इमेज create करता है।
2.DVD:-
DVD यानी डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क, सीडी के बाद DVD का आगाज हुआ वैसे तो देखने में दोनों सीडी और DVD दोनों एक ही जैसे लगते हैं मगर इनकी डेटा कैपेसिटी में अंतर होता है। सीडी के मुकाबले डीवीडी में ज्यादा डाटा सेव किया जा सकता है। मतलब DVD में यूजर करीब 4.7 जीबी से लेकर 17 जीबी तक डाटा सेव कर सकता है। DVD के आने के बाद बाजार में सीडी की मांग में भारी कमी देखी गई।
Flash drive:-
पेन ड्राइव को ही फ्लैश ड्राइव के नाम से जाना जाता है। आजकल सबसे ज्यादा फ्लैश ड्राइव का यूज़ डाटा स्टोर करने के लिए किया जाता है। यह एक एक्सटर्नल डिवाइस है जिसको कंप्यूटर में अलग से यूज किया जाता है। यह कार्य बहुत छोटे तथा हल्की भी होती है। इसमें स्टोर डाटा को पढ़ा भी जा सकता है और उसमें सुधार भी किया जा सकता है।
फ्लैश ड्राइव में एक छोटा pride circuit board होता है जो प्लास्टिक या धातु के cover से ढका होता है इसलिए यह मजबूत होता है। यह प्लग एंड प्ले उपकरण है। आज यह सामान्य रूप से 2gb,4gb,8gb,16gb,32gb,64gb,128gb आदि। क्षमता में उपलब्ध है।
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मेमोरी कार्ड(memory card):-
मेमोरी कार्ड छोटे स्टोरेज माध्यम माना जाता है जिसका उपयोग आमतौर पर सूचनाओं को संग्रहित करने के लिए किया जाता है। मेमोरी कार्ड एक प्रकार का स्टोरेज मीडिया है, जो अक्सर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में फोटो, वीडियो या अन्य डाटा स्टोर करने के लिए उपयोग किया जाता है।
आमतौर पर मेमोरी कार्ड का उपयोग करने वाले उपकरण में डिजिटल कैमरा, हैंडहेल्ड कंप्यूटर, MP3, पीडीए सेल, फोन, गेम कंसोल और प्रिंटर शामिल है। इसका उपयोग छोटे पोर्टेबल और दूरस्थ कंप्यूटर उपकरणों के लिए भी किया जाता है।
मेमोरी कार्ड के प्रकार के आधार पर स्टोरेज स्पेस की मात्रा में भिन्न हो सकते हैं। हालांकि सामान्य तौर पर अधिकांश मेमोरी कार्ड आज आकार में 4GB गीगाबाइट से लेकर 128GB तक होते हैं। पुराने मेमोरी कार्ड 4GB से भी छोटे होते थे।
बाजार में विभिन्न प्रकार की मेमोरी कार्ड उपलब्ध है, सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले प्रकार के मेमोरी कार्ड –
CF(compactflash)
Micro SD
MMC
SD card
SD HC card
Smart media card
Sony memory stick
XD picture card