इंटरनेट(Internet) क्या है?

इंटरनेट सूचना तकनीक की सबसे आधुनिक प्रणाली है। Internet को विभिन्न कंप्यूटर में कनेक्ट व को एक विश्वस्तरीय समूह कर सकते हैं। साधारण कंप्यूटर को टेलीफोन लाइन द्वारा इंटरनेट से जोड़ा जाता है।

इंटरनेट का पूरा नाम अंतर्राष्ट्रीय जाल है। जिसकी सहायता से बहुत सारे मशीन को चलाया जाता है। वर्तमान समय में इसका प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ा है। जिसके कारण अच्छे तथा बुरे खबरों को बहुत तेजी से फैलाया जाता है। इंटरनेट का मतलब दो या दो से अधिक कंप्यूटर का एक दूसरे से कनेक्शन होता है।

Internet यानी दुनिया के अनगिनत कंप्यूटर का एक दूसरे से नेटवर्क और सिर्फ एक क्लिक से इंटरनेट से सारी दुनिया की खबर मिलती है। इंटरनेट की वजह से दुनिया बहुत छोटी हो गई है। 1969 में इंसान चांद पर गया और यूएस के रक्षक कार्यालय में एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट यानी advanced research project agency(ARPA) को नियुक्त किया। उन्होंने चार कंप्यूटर का नेटवर्क बनाया जिससे उन्होंने अपना डाटा एक्सचेंज और शेयर किया बाद में बहुत सारे यूनिवर्सिटी को ये नेटवर्क को ज्वाइन करके इंफॉर्मेशन शेयर करने के लिए कहां गया यह सबसे पहली शुरुआत थी।

बाद में इंजीनियर, साइंटिस्ट, और कंप्यूटर एक्सपर्ट को रिसर्च करने के लिए रखा गया धीरे-धीरे यह नेटवर्क प्राइवेट एजेंसीज और आम इंसान के लिए कर दिया गया।सबसे इंटरेस्टिंग बात यह है कि कोई भी एजेंसी इंटरनेट को मेंटेन या कंट्रोल नहीं करता।

भारत में सबसे पहला Internet 15 अगस्त 1995 में गवर्नमेंट की कंपनी Videsh sanchar Nigam limited (VSNL) ने शुरू कर दिया। और धीरे-धीरे प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर जैसे एयरटेल(Airtel), रिलायंस(Reliance),sify,TATA communications को कर दिया।

वर्ल्ड वाइड वेबWWW. काफी बड़ा नेटवर्क है और उसे देखने के लिए नेट्स कैप, क्रोम ब्राउज़र, इंटरनेट एक्सप्लोरर वजूद में आए। और इसमें आप सब वेबसाइट कनेक्ट करते हैं सब वेबसाइट को देखने के लिए काफी शॉट अलग सा और अंतरराष्ट्रीय पहचान पत्र यूआरएल (URL-unique Resource locator)के नाम से जाना जाने लगा। इसे unique resource locator भी कहते हैं।WWW के अंदर लाखो डॉक्यूमेंट और बहुत सारे पेजेस pages होते हैं। और इन सारे पेजेस में ग्राफिक्स, वीडियो, आइडियो, जिनको हम इंटरनेट के सहारे देख सकते हैं।

इंटरनेट कम्युनिकेशन का एक महत्वपूर्ण या दक्ष माध्यम है जिसने काफी लोकप्रियता अर्जित की है। इंटरनेट के माध्यम से लाखों व्यक्ति सूचनाओं,विचारों और ध्वनि ,वीडियो आदि को कंप्यूटर के जरिए पूरी दुनिया में एक दूसरे के साथ शेयर कर सकते हैं यह विभिन्न आकारों प्रकारों के नेटवर्क से मिलकर बना होता है।

इसका पूरा नाम इंटरनेशनल नेटवर्क है। जिसे वर्ष 1950 में विंट करफ(vint karf) ने शुरू किया था। जिन्हें इंटरनेट का पिता कहा जाता है। इंटरनेट नेटवर्क का संजाल है, जिसमें लाखों निजी एवं सार्वजनिक तो लोकल से ग्लोबल स्कोप वाले नेटवर्क होते हैं।। सामान्यतया नेटवर्क दो या दो से अधिक कंप्यूटर सिस्टम को आपस में जोड़कर बनाया गया समूह होता है।

इंटरनेट पर उपलब्ध डाटा प्रोटोकॉल द्वारा नियंत्रित किया जाता है। TCP/IP द्वारा एक फाइल को कई छोटे भागों में फाइल सर्वर द्वारा बांटा जाता है। जिसे पैकेट कहा जाता है। इंटरनेट पर सभी कंप्यूटर आपस में इसी प्रोटोकॉल का प्रयोग करके वार्तालाप करते हैं, जिसे हम इंटरनेट कहते है।

इंटरनेट (Internet) का इतिहास:-

Internet Kya Hai - इंटरनेट क्या है
Internet Kya Hai – इंटरनेट क्या है

सन 1969 में लास एंजेल्स में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया तथा यूनिवर्सिटी आफ यूटा ARPA। एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी नेटवर्क की शुरुआत के रूप में जोड़ें। इस परियोजना के मुख्य लक्ष्य विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा अमेरिका रक्षा मंत्रालय के कंप्यूटरों को आपस में कनेक्ट करना था वह दुनिया का पहला पैकेट स्विचिंग नेटवर्क था।

मध्य 80 के दशक में एक और संघीय एजेंसी राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन ने एक उच्च क्षमता वाला network NSF नेट बनाया।जो ARPA से अधिक सक्षम था।NSF net में केवल यही कमी थी कि यह अपने नेटवर्क पर केवल शैक्षणिक अनुसंधान की ही अनुमति देता था। किसी भी प्रकार के निजी व्यापार की अनुमति नहीं देता था। इसी कारण निजी संगठनों तथा लोगों ने अपने खुद के नेटवर्क का निर्माण करना शुरू कर दिया। जिसने बाद में ARPA net और NSf net से जुड़कर इंटरनेट का निर्माण किया जिसे आज हम इंटरनेट (Internet) करते हैं।

अमेरिका की खोज:-

मूलतः इंटरनेट का प्रयोग अमेरिका की सेना के लिए किया गया था। 1969 में अर्पानेट ARPANET नाम का एक नेटवर्क बनाया गया, जो चार कंप्यूटर को जोड़कर बनाया गया था। तब इंटरनेट (Internet) की प्रगति सही तरीके से चालू हुई वर्तमान में इंटरनेट के माध्यम से लाखों-करोड़ों कंप्यूटर एक दूसरे से जुड़े।

भारत की खोज:-

भारत में इंटरनेट (Internet) सेवा का आरंभ 15 अगस्त 1995 में (VSNL)विदेश संचार निगम लिमिटेड भारत में इंटरनेट के लिए नेटवर्क की सेवाएं प्रारंभ की गई थी।

नेटवर्क क्या होता है कैसे काम करता है?

इंटरनेट के लाभ:- Benifits of Internet

1. दूसरे व्यक्तियों से आपसी संपर्क बनाने की अनुमति देता है।

2. इसके माध्यम से कहीं भी किसी भी व्यक्ति से संपर्क बनाया जा सकता है।

3. इंटरनेट (Internet) पर डॉक्यूमेंट को प्रकाशित करने पर पेपर इत्यादि की बचत होती है, एक ही जानकारी को कई बार एक्सेस करने के बाद उसे पुनः सर्च करने में कौन समय लगता है।

इंटरनेट की हानियां:- Demarits of Internet

1. कंप्यूटर में वायरस के लिए यह सर्वाधिक उत्तरदाई होती है।

2. इंटरनेट पर भेजे गए संदेशों को आसानी से चुराया जा सकता है।

3. बहुत सी जानकारी जांची नहीं जाती जो गलत या असंगत भी हो सकती है।

इंटरनेट कनेक्शन के प्रकार(types of internet connection):-

Internet Kya Hai - इंटरनेट क्या है
Internet Kya Hai – इंटरनेट क्या है

इंटरनेट को यूज करने के लिए सबसे पहले आपको किसी सर्वर से जोड़ना होता है, इंटरनेट (Internet)सर्वर का ऐसा सिस्टम कहा जाता है जो क्लाइंट यानी यूजर के द्वारा आने वाले रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट कर के उसके द्वारा मांगे की जानकारी उपलब्ध कराता है। ऐसी कंपनियां जो इंटरनेट को सर्विस प्रोवाइड करती हैं,ISP (internet service provider) कहलाती है।

इंटरनेट का प्रयोग करने के लिए आपको आईएसपी (ISP) से कनेक्शन लेना होता है। जब आप इस कंपनी का नेटवर्क यूज करते हैं तो आपको इसके लिए आवश्यक फीस जमा करनी होती है। इंटरनेट कनेक्शन के निम्न प्रकार है:-

1. डायल अप कनेक्शन(dial up connection):-

इस प्रक्रिया में उपभोक्ता का कंप्यूटर फोन लाइन के जरिए जोड़ा जाता है। इसलिए इसे एनालॉग कनेक्शन भी कहा जाता है। कोई डायल अप कनेक्शन एक अस्थाई कनेक्शन होता है, जो आपके कंप्यूटर और आईएसपी सर्वर के बीच में बनाया जाता है। इस तरह के कनेक्शन के जोड़ने के बाद फोन का इस्तेमाल करना संभव नहीं होता।

डायल अप कनेक्शन मॉडेम का उपयोग करके बनाया जाता है, जो टेलीफोन लाइन का उपयोग आईएसपी सर्वर का नंबर डायल करने में करता है। ऐसा कनेक्शन सस्ता होता है, और इसकी स्पीड कम होती है। इसकी स्पीड kbps (KB per second) तथा mbps(MB per second) में मापी जाती है।

2. ब्रॉडबैंड कनेक्शन(broadband connection):-

ब्रॉडबैंड, broad band with का संक्षिप्त रूप है। यह एक तेज गति वाला इंटरनेट (Internet) कनेक्शन होता है जिसमें की वाइड बैंड की फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल किया जाता है। सूचना के लिए ब्रॉडबैंड कनेक्शन की सुविधा कोई भी प्रदान कर सकता है, चाहे वह एक टेलीफोन कंपनी हो या फिर इंटरनेट (Internet) सर्विस प्रोवाइडर या एक केबल कंपनी हो। यह सबसे तेज गति का नेटवर्क होता है इसमें भारी मात्रा में सूचनाएं भेजने के लिए एक से अधिक डाटा चैनलों का उपयोग किया जाता है।

3.DSL कनेक्शन(DSL connection):-

डीएसएल कनेक्शन का फुल फॉर्म डिजिटल सब्सक्राइबर लाइन(digital subscriber line) होता है। इस कनेक्शन में उपभोक्ता के घर उपलब्ध दो तारों वाली टेलीफोन लाइन का इस्तेमाल किया जाता है इस व्यवस्था में उपभोक्ता टेलीफोन लाइन का प्रयोग भी कर सकता है। यह कनेक्शन कई प्रकार का होता है-

DSL के प्रकार(types of digital subscriber line):-

ये दो प्रकार की होती हैं:-

A. सिमेट्रिक DSL(SDSL, symmetric DSL):-

SDSL अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम फ्रीक्वेंसी को समभाव से अलग अलग करता है जिसके कारण अपलोडिंग और डाउनलोडिंग दोनों ही डाटा ट्रांसफर की गति समान ही रहती है। यह कनेक्शन 2mbps का अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम गति दे सकता है। इसका प्रयोग छोटे ऑर्गनाइजेशन द्वारा ज्यादा दिया जाता।

B. असिमेट्रिक DSL(ADSL, Asymmetric DSL):-

डाउनस्ट्रीम डाटा ट्रांसफर के लिए बड़े फ्रीक्वेंसी रेंज की सुविधा देता है जिसके कारण डाउनलोड की गति कई गुना बढ़ जाती है।ADSL कनेक्शन 20mbps कि डाउनस्ट्रीम और 1.5mbps कि अपस्ट्रीम गति दे सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकतर यूजर डाटा को अपलोड करने से ज्यादा डाउनलोड ही करते हैं।

4. वी -सैट(V-SAT):-

V_SAT very small aperture terminal का संक्षिप्त रूप है। इसे Geosynchronous satellite से जुड़ा होता है तथा दूरसंचार एवं सूचना सेवाओं, जैसे-आडियो, वीडियो, ध्वनि तथा इत्यादि के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक विशेष प्रकार का ground station हैं जिसमें बहुत बड़े एंटीना होते हैं। जिसके द्वारा V-SAT के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है।hub कहलाते हैं। इनके द्वारा इन्हे जोड़ा जाता है।

5. वायरलेस कनेक्शन(wireless connection):-

वायरलेस वह कनेक्शन होता है ,जिसमें केबल का प्रयोग नहीं किया जाता जैसे -वाईफाईwifi , इसे चलाने के लिए किसी केबल की आवश्यकता नहीं होती है ,वाईफाई कनेक्शन के लिए केवल router की आवश्यकता होती है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि यह हमेशा ऑन रहता है।

6.USB modem connection:-

इस कनेक्शन के लिए मॉडेम की आवश्यकता नहीं होती है। यूएसबी डिवाइस के माध्यम से यह कनेक्शन स्थापित किया जाता है। इसमें सिम कार्ड के द्वारा इंटरनेट (Internet) कनेक्शन बनाया जाता है।USB modem में sim card लगाने के बाद कंप्यूटर से कनेक्ट करने पर नेट चालू हो जाता है।

जैसे-net sector एक USB modem हैं इससे कई कंपनी द्वारा बनाया गया है।idea, reliance, Airtel,TATA Docomo,Jio आदि।

7. मोबाइल कनेक्शन(mobile connection):-

संचार क्रांति के दौर में अब हर आदमी के हाथों में इंटरनेट (Internet) पहुंच चुका है इसका जरिया बना है मोबाइल फोन। जीएसएम,3G,4G जैसी नई तकनीकों के कारण अब हम मोबाइल ,टेबलेट पर आसानी से इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं।

इंटरनेट का उपयोग:- Uses of Internet

अपने शुरुआत के दिनों में इंटरनेट (Internet) का उपयोग सिर्फ वैज्ञानिकों द्वारा एक दूसरे को रिसर्च पेपर तथा अन्य सूचनाएं साझा करने तक सीमित था। लेकिन धीरे-धीरे इंटरनेट (Internet) का विकास होता गया और इसमें नई नई तकनीक को जोड़ा गया, जिसका वर्तमान स्वरूप हम आज देखते हैं। आधुनिक इंटरनेट (Internet) हमारी जीवनशैली का हिस्सा हो गया है।

Internet Kya Hai - इंटरनेट क्या है
Internet Kya Hai – इंटरनेट क्या है

1. संप्रेषण के लिए(to communicate):-

1. इंटरनेट (Internet) का सबसे अधिक उपयोग हम एक दूसरे से संपर्क करने के लिए करते हैं।

2. इंटरनेट (Internet) के द्वारा हम कभी भी और कहीं भी शीघ्रता से अपने चाहने वाले को संदेश भेज एवं प्राप्त कर सकते हैं।

3. इंटरनेट (Internet) पर संदेश भेजने का एक तरीका ईमेल है।

4. ईमेल के अलावा सोशल मीडिया साइट्स जैसे फेसबुक, टि्वटर, व्हाट्सएप ,टेलीग्राम ,इंस्टाग्राम आदि के जरिए हम रियल टाइम में अपने करीबियों से जुड़े रह सकते हैं।

5. और उनके हर एक गतिविधियों को अपनी आंखों से देखते रह सकते हैं।

2. खोजने के लिए(to search information):-

1. इंटरनेट (Internet) को विकसित ही इसीलिए किया गया था।

2. आज से पहले कभी भी इस प्रकार सूचना प्राप्त करना आसान नहीं था।

3. लेकिन आज हम इंटरनेट (Internet) के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने से जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं और वो भी कुछ सेकंडो में।

3. मनोरंजन के लिए(To entertainment):-

1. इंटरनेट का उपयोग मनोरंजन के साधन के रूप में किया जाता है। मनोरंजन के क्षेत्र में विकल्प असीमित है। इसके माध्यम से हम फिल्म में गाने, वीडियो आदि को देख तथा सुन सकते हैं।

2. पढ़ने के शौकीन अपनी मनपसंद लेखक को पढ़ सकते हैं। इसके अलावा हर वक्त का मनोरंजन वीडियो ,गेम की दुनिया तो हमारे लिए हर वक्त खुली होती है।

3. यूट्यूब पर लाखों मनोरंजन चैनल मौजूद है।

4. खरीदी के लिए(To shopping):-

1. इसे ई- व्यापार करते हैं। इंटरनेट के माध्यम से बाजार को घर से ही देखा जा सकता है।

2. और अपना सामान खरीदा जा सकता है।

3. इसके द्वारा घर बैठे ही किस दुकान पर कौन सा सामान है, और कौन सा नहीं तथा उस सामान की ढेरों विकल्प एक साथ देखकर पसंद से अपना सामान खरीद सकते हैं। इसके अलावा प्रचलित फैशन की जानकारी भी जुटाई जा सकती।

5. शिक्षा के क्षेत्र में(In education):-

1. इसे ई लर्निंग(ई- शिक्षा) कहते हैं।

2. यह क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। आज इंटरनेट (Internet) के माध्यम से हम घर में बैठकर ही अपने लिए मनपसंद कॉलेज, स्कूल चुन सकते हैं।

3. इसके अलावा हमारे पसंद के कोर्स किस कॉलेज में उपलब्ध है और उस कोर्स बारे में सारी जानकारी है तथा कोर्स की फीस, कोर्स का समयावधि आदि, यह जानकारी हम अपने कंप्यूटर पर प्राप्त कर सकते हैं।

6. ई गवर्नेंस के लिए(To provide governance):-

1. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम इस दिशा में किया गया एक प्रयास है। जिसके तहत डिजिटल रूप में सरकारी सुविधाओं को आम जनता के लिए सुलभ करवाने का प्रयास है।

2. इसके परिणाम स्वरूप आज हम देखते हैं कि अधिक से सरकारी सेवा ऑनलाइन उपलब्ध होने लगी है।

3. राशन कार्ड ,आधार कार्ड से लेकर पेंशन तथा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ ले सकते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में इंटरनेट के उपयोग(uses of Internet in education):-

पिछले 20 वर्षों में टेक्नोलॉजी के बहुत ज्यादा प्रगति हुई है। जिसके दौरान डेस्कटॉप कंप्यूटर और इंटरनेट का विकास किया गया है।

शिक्षा के क्षेत्र में उनके लाभ:-

1. पारस्परिक क्रिया(Interactivity):-

इंटरनेट (Internet) ऑनलाइन शिक्षा के कार्यक्रम स्तर और विधि दोनों में पारस्परिक क्रिया प्रदान करते हैं ।परस्पर क्रिया कक्षा- कक्ष में शिक्षार्थियों और प्रशिक्षकों के विचारों का आदान प्रदान करने में समर्थ बनाते हैं।

2. वेब शिक्षक(web teacher):-

वेब शिक्षक जिसने अपने हस्तकला को बढ़िया ढंग से सीख रखा है, उनके पास आगे बढ़ रही टेक्नोलॉजी को अनुकूल बनाए जा सकने वाला हस्तांतरित किए जाने योग्य स्किल और ज्ञान होगा। पैसे अस्थिर हस्तांतरित किए जाने वाले ज्ञान का लाभ स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष है।

3. दूरस्थ शिक्षा(distance learning):-

जैसे-जैसे इंटरनेट (Internet) का खर्च घट रहा है बहुत से इंवर्सिटी कक्षा के लाभों को दूरस्थ शिक्षा की व्यवस्था में लाने के ढंग ढूंढ रहे हैं। डिस्टेंस लर्निंग को शिक्षा के एक औद्योगिक कृत रूप में वर्णित किया गया है। जिस की कुछ विशेषताएं होती हैं-प्रक्रिया को बुद्धि समृद्ध बनाना, श्रम का विभाजन और बहु मात्रा में उत्पन्न। इंटरनेट दूरस्थ शिक्षा और शिक्षण को आसान बनाता है।

4. स्वतंत्र अधिगम(independent learning):-

इंटरनेट (Internet) स्वतंत्र रूप से सीखने का अवसर प्रदान करता है। आधुनिक वेब आधारित अधिगम और कंप्यूटर का प्रयोग छात्रों को निर्देश देने के ढंग में आधारभूत परिवर्तन किए जाने का साधन प्रदान करता है।CD-ROM और कार्य पुस्तकों के साथ संयुक्त किया गया बहू माध्यम अधिगम बहू माध्यमों के पूर्ण शैक्षिक सामर्थ्य का उपयोग करते हुए किसी कोर्स की आवश्यक धारणाओं की जांच करने का प्रयास करता है।

5. योग्यताओं का प्रयोग(moulding of abilities):-

इंटरनेट (Internet) शिक्षा प्रक्रिया के उच्च स्तर का अर्थ है -सीखने में योग्यताओं का विशिष्ट प्रयोग करना।

6. वेब आधारित शिक्षण और शिक्षा(web based teaching and learning):-

जानकारी आधारित साइटों के साथ एकीकृत किए जाने पर शिक्षा की बढ़ती हुई मांग और नई तकनीकों द्वारा छात्रों की बढ़ती हुई अभिप्रेरणा को ध्यान में रखते हुए वेब आधारित शिक्षण और शिक्षा में प्रभावशीलता पर गंभीर रूप से विचार किए जाने की आवश्यकता है।

7. ऑनलाइन शिक्षा का तीव्र विकास(rapid development of online education):-

वर्तमान में ऑनलाइन शिक्षा का इतनी तेजी से विकास हो रहा है कि इसका अनुसरण करना बहुत कठिन हो गया है। पूर्व अनुमान किया गया है कि योग्य ऑनलाइन शिक्षकों की भारी रूप से कमी हो गई है।

इंटरनेट (Internet) द्वारा शिक्षण संस्थान अपने उन शिक्षकों को प्रशिक्षित कर सकते हैं और उनके प्रतिभाओं का लाभ उठा सकते हैं जो पारस्परिक व्यवस्था से निवृत्त हो चुके हैं।

इंटरनेट (Internet)के लिए आवश्यक घटक

1. पर्सनल कंप्यूटर(personal computer):-

पी सी का पूरा नाम पर्सनल कंप्यूटर होता है। पर्सनल कंप्यूटर पी सी एक सामान्य प्रयोजन का कंप्यूटर है ,जिसका आकार और क्षमता और मूल बिक्री मूल्य किसी आम व्यक्ति के प्रयोग के लिए उपयोगी बनाता है। इन्हें माइक्रो कंप्यूटर की श्रेणी में भी रखा जाता है इसे हिंदी में व्यक्तिगत संगणक भी कहते हैं।

2. मॉडेम(modem):-

मॉडेम का फुल फॉर्म होता है (modulator/Demodulator) यह ऐसा हार्डवेयर कॉम्पोनेंट्स होता है। जब इंटरनेट (Internet) को टेलीफोन लाइन के माध्यम से कनेक्ट करते हैं तो मॉडेम की आवश्यकता होती है यह कंप्यूटर में चल रहे इंटरनेट (Internet) ब्राउजर और Internet Service Provider (ISP) के बीच आवश्यक लिंक का कार्य करता है।

एक एनालॉग सिग्नल को एक टेलीफोन या केबल वायर से डिजिटल सिगनल में बदलने का कार्य करता है।

56k modem का आविष्कार 1996 में Dr.Brent Townshend ने किया था।

3. संचार माध्यम:-

संचार माध्यम किसी भी कंप्यूटर से टर्मिनल या किसी भी टर्मिनल से कंप्यूटर तक डाटा को भेजने के लिए हमें किसी न किसी माध्यम की आवश्यकता होती है इसी माध्यम को कम्युनिकेशन लाइन या डाटा लिंक का संचार का माध्यम कहते हैं। आधुनिक युग में डाटा का संचार में अब वॉयरलैस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाने लगा है।

4. वेब ब्राउज़र या इंटरनेट सॉफ्टवेयर:-

एक वेब ब्राउज़र किसी कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर होता है। इसके बिना कोई भी ऑनलाइन सेवा नहीं ली जा सकती है, फिर चाहे वह वीडियो देखना, हो या किसी वेबसाइट से जानकारी लेना, इसके इस्तेमाल के बगैर इंटरनेट (Internet) का कोई अस्तित्व नहीं है।

Web browser के कुछ उदाहरण:-

1. Chrome

2. Safari

3. Opera

4.Mosila fire etc

वेब ब्राउज़र एक एप्लीकेशन है जिसका कार्य इंटरनेट (Internet) का प्रयोग करके वेबसाइट्स को एक्सेस करना और उन्हें आपके कंप्यूटर पर दिखाना होता है इसके इतिहास के शुरुआत होती है। जब वर्ल्ड वाइड वेब को Tim Berners-lee ने 1989 में विकसित किया था।

5. इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर(ISP):- Internet Service Provider (ISP)

Internet Service Provider (ISP) अथवा आईएसपी ISP वह कंपनी है जो लोगों को इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करती है। इसके माध्यम से ही आप अपने कंप्यूटर ,मोबाइल, फोन और अन्य इंटरनेट (Internet) सक्षम डिवाइस को इंटरनेट से कनेक्ट कर पाते हैं।

डिवाइस को इंटरनेट से कनेक्ट करने के लिए आई एस पी एक प्रवेश द्वार की तरह है। इस द्वार को पार करने के बाद ही आप कई ऑनलाइन एक्टिविटी जैसे कि गूगल पर जानकारी खोजना, यूट्यूब पर वीडियो देखना इत्यादि कर पाते हैं। सन् 1984 में फर्स्ट Internet Service Provider (ISP) कंपनी संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थापित की गई थी।

भारत में पहली सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट (Internet) सेवा 15 अगस्त 1995 में विदेश संचार निगम लिमिटेड द्वारा शुरू की गई।

#डिजिटल सब्सक्राइबर लाइन:-

इस प्रकार के कलेक्शन में इंटरनेट एक्सेस करने के लिए डिजिटल डाटा को टेलीफोन नेटवर्क किए तारों द्वारा संचालित किया जाता है। इस कार्य के लिए डीएसएल मॉडेम की आवश्यकता होती है। देसी टेलीफोन लाइन तथा कंप्यूटर के साथ जोड़ा जाता है।

#केबल मॉडेम:-

इसके अंतर्गत केबल ऑपरेटर का एक्सेल केबल के माध्यम से इंटरनेट इत्यादि सुविधाएं भी प्रदान कर सकते हैं। किस-किस ट्रांसमिशन स्पीड 1.5mbps होता है।

#फाइबर ऑप्टिक तकनीक:-

इस तकनीक में विद्युत संकेतों के रूप में उपस्थित डाटा को प्रकाश के रूप में बदल कर उस प्रकाश को पारदर्शी फाइबर ग्लास जिसका व्यास मनुष्य के बाल के बराबर होता है। इसके जरिए प्राप्तकर्ता तक भेजते हैं।

#वायरलेस कनेक्शन:-

वायरलेस कनेक्शन ब्रॉडबैंड तकनीक (Technology) ग्राहक के स्थान और सर्विस प्रोवाइडर के बीच रेडियो लिंक का प्रयोग कर कर या व्यापार इत्यादि को इंटरनेट से जोड़ते हैं।

1. वायरलेस फिडेलिटी:-

यह एक सार्वत्रिक वायरलेस तकनीक है जिसमें रेडियो आवृत्तियों के डाटा को ट्रांसफर किया जाता है। वाईफाई केबल या तारों के बिना ही उच्च गति से इंटरनेट सेवा प्रदान करते हैं।

Internet Kya Hai - इंटरनेट क्या है
Internet Kya Hai – इंटरनेट क्या है

विभिन्न क्षेत्र में इंटरनेट का उपयोग:-

1. ईमेल:-

ईमेल इलेक्ट्रॉनिक मैसेज भेजने का माध्यम है जिसे हम इलेक्ट्रॉनिक मेल भी कहते हैं यह कंप्यूटर नेटवर्क में प्रकाश की गति से गमन करता है।

ईमेल पते के दो भाग होते हैं यूजरनेम तथा डोमेन नेम इसमें कहीं भी स्पेस नहीं हो सकता।

बहुत सी कंपनी है जो ईमेल की सर्विस प्रदान करते हैं।

जीमेल(Gmail), Hotmail, rediffmail, Yahoo mail, भी ईमेल सर्विस प्रदान करती है।

2. टेलनेट(telnet):-

रिमोट मैनेजमेंट के लिए टेलनेट सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। टेलनेट प्रोग्राम का प्रयोग करके हम दूसरे कंप्यूटर को जोड़कर ऐसे कार्य कर सकते हैं जैसे कि हम उसके कीबोर्ड के पास बैठे हैं, और आपको कंप्यूटर के विशिष्ट एप्लीकेशन और डाटा के एक्सेस का विशेषाधिकार होता है।

टेलनेट को 1969 में बनाया और लांच किया गया। और ऐतिहासिक रूप से बोलते हुए आप यह कह सकते है कि यह पहला , इंटरनेट था।

3. यूज़ नेट (usenet):-

यूज़नेट जिसे यूजर्स नेटवर्क भी कहते हैं। इंटरनेट के सबसे पुराने सेवा है। यह एक ऐसी सुविधा है जिसकी सहायता से नेटवर्क में नहीं तो सूचनाओं के भंडार को इसी विषय पर आधारित समूहों में बांटा जा सकता है तथा एक विषय पर रुचि रखने वाले व्यक्ति सूचनाओं का आदान प्रदान कर सकते हैं इसके माध्यम से एक नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटर में लिखित संदेश का स्थानांतरण किया जा सकता है।

4. वर्ल्ड वाइड वेब(WWW world wide web):-

इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब का आपस में गहरा संबंध है जो दोनों एक दूसरे पर निर्भर है वर्ल्ड वाइड वेब जानकारियों का भंडारण होता है अर्थात पेजों का विशाल संग्रह होता है ।जो लिंक्स के रूप में होता है इसके कारण संसार भर में कंप्यूटर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। वर्ल्ड वाइड वेब HTML,HTTP, वेब सर्वर और वेब ब्राउज़र पर काम करता है।www का प्रयोग सबसे पहले TIM BERNERS LEE ने 1989 में CERN प्रयोगशाला में किया।

5. ई-कॉमर्स(e commerce):-

इंटरनेट के माध्यम से उद्योग करने को ई- कॉमर्स या इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स कहते हैं। सरल शब्दों में इंटरनेट की दुनिया में अपनी सर्विस या सेवा प्रदान करना ही ई-कॉमर्स कहलाता है.। इन सेवाओं के अंतर्गत इंटरनेट पर सामान को खरीदना और बेचना, मार्केटिंग करना, समान को पते पर डिलीवर करना, बिल का ऑनलाइन भुगतान करना, ऑनलाइन बैंकिंग करना, आदि आते हैं।

6. एम कॉमर्स (m commerce):-

मोबाइल के द्वारा जो लेनदेन किया जाता है उसे एम कॉमर्स कहा जाता है। इसमें मोबाइल से व्यापार किया जाता है।