डेटाबेस जानकारियों का संग्रहालय है। जहां पर संबंधित जानकारियों का संकलन करके रखा जाता है। डाटा किसी भी जानकारी का एक छोटा सा हिस्सा होता है जैसे गूगल । डाटा अलग-अलग प्रकार के कई रूप में हो सकते हैं। जैसे टेक्स्ट, इमेज, फाइल, ग्राफ आदि जब स्टेटस को एक साथ ऑर्गेनाइज किया जाता है तो वह इंफॉर्मेशन बन जाता है। और इंफॉर्मेशन के समूह से डेटाबेस बनता है।
डेटाबेस में डाटा और इंफॉर्मेशन को ऑर्गेनाइज करके रखा जाता है जिसमें जरूरत पड़ने पर इंफॉर्मेशन को आसानी से एक्सेस, मैनेज अपडेट किया जाता है।
साथ ही साथ यह डाटा शेयरिंग और सुरक्षा का नियंत्रण भी ध्यान रखता है। इंफॉर्मेशन को स्टोर करने के लिए कुछ सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे एमएस एक्सल इस सॉफ्टवेयर में सारे डेटा को इनपुट करने के बाद कंप्यूटर के हार्ड डिस्क में स्टोर किया जाता है।

एमएस एक्सल डाटा स्टोर करने के लिए एक टेबल का उपयोग करते हैं जिसे हम अलग-अलग कई सारे कॉलम और रो में बांट देते हैं ताकि हम आसानी से इसमें डाटा डाल सके और आवश्यकता पड़ने पर इसे प्राप्त कर सके और बदलाव कर सके ठीक इसी तरह डेटाबेस में भी डाटा को एक टेबल में स्टोर किया जाता है।
जिनमें कई सारे कॉलम और रो होते हैं जिनकी वजह से उन्हें एक्सेस करना आसान हो जाता है। एक डाटा के अंदर ऐसे कई सारे टेबल्स हो सकते हैं इंटरनेट पर कई सारी वेबसाइट है जो डेटाबेस का उपयोग करती है। जैसे फेसबुक इसमें यूजर के बारे में कई सारे डेटा जैसे कि उसका नाम मोबाइल नंबर, प्रोफाइल पिक्चर, फ्रेंड्स, मैसेज , पोस्ट, स्टेटस आदि सभी जानकारी सर्वर में उपस्थित डेटाबेस में ही स्टोर रहते हैं।
अगर हम अपने फेसबुक अकाउंट में से एक प्रश्न के बारे में जानकारी पाने के लिए सर्च करते हैं तब फेसबुक के डेटाबेस से हमें उस पर्सन की सारी जानकारी मिल जाती है।
इसी तरह कई बड़ी-बड़ी ऐसे वेबसाइट है जो डेटाबेस का इस्तेमाल करते हैं। आजकल ऑनलाइन बैंकिंग, एटीएम, ऑनलाइन टिकट रिजर्वेशन जैसी सुविधा में डेटाबेस का खास योगदान होता है।
इनके तहत सारी जानकारियां डेटाबेस में स्टोर रहती हैं जिन्हें अपनी सुविधा अनुसार एक्सेस किया जाता है। जैसे कि आपके बैंक के अकाउंट को आप कहीं भी हो अपने मोबाइल से या कंप्यूटर की मदद से उसे एक्सेस कर आप आवश्यक सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (database management system) क्या है?
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम जिसे हम डीबीएमएस भी कहते हैं। यह एक सॉफ्टवेयर है जिसके जरिए यूजर डाटाबेस को create, define, maintain, और कंट्रोल करता है। DBMS एक उदाहरण है MySQL, Microsoft office access visual Fox Pro 9, DB2, DBMS का इस्तेमाल आमतौर पर डेटाबेस को मेंटेन करने के लिए किया जाता है। मतलब आप डाटा को डेटाबेस में इंसर्ट, एडिट, डिलीट, एक्सेस और अपडेट कर सकते हैं।

उदाहरण के लिए जैसे आपने एक डाटाबेस बनाया स्टूडेंट टेबल अब इसमें आपको स्कूल स्टूडेंट के डिटेल को ऐड करना है तो आप इंसर्ट के जरिए ऐड कर सकते हैं। अगर अनजाने में आपने डाटा गलत कर दिया है तो आपको स्टूडेंट टेबल में सुधार करना होगा, तो यह आप एडिट के जरिए कर सकते हैं। इसी तरह से आप फीचर इस्तेमाल कर सकते हैं और अपनी गलतियों को सुधार सकते हैं।l
Database महत्वपूर्ण क्यों है?:-
Database इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके द्वारा ही डाटा सही और व्यवस्थित तरीकों से मैनेज हो पाता है। इसके साथ यह यूजर को कई कार्य करने की आज्ञा भी प्रदान करता है।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम, एक एकल सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन के भीतर बड़ी मात्रा में इंफॉर्मेशन को मैनेज और ऑर्गेनाइज कर सकता है। जिसके कारण व्यवसाय संचालन के एफिशिएंसी बढ़ जाती है। और समय लागत कम हो जाती है।
इसके साथ ही डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली ने बिजनेस और बड़ी ऑर्गनाइजेशन को काफी फायदा पहुंचाया है। क्योंकि वे कई प्रकार के डाटा को स्टोर करने के लिए इसका प्रयोग करते हैं।
आज हम इस प्रणाली का प्रयोग एंप्लोई रिकॉर्ड, एकाउंटिंग, लाइब्रेरी बुक्स, स्टूडेंट इंफॉर्मेशन, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट इत्यादि प्रकार के डाटा को मैनेज करने के लिए करते हैं।
जब हम इस तरह के कार्य को खुद से मैनुअली करते हैं, तो यह डेटाबेस के मुकाबले कहीं अधिक समय लेता है। बल्कि एक बार रिकॉर्ड बना लिया फिर आप उसमें बदलाव भी आसानी से नहीं कर सकते और इसे हर किसी के द्वारा एक्सेस भी नहीं किया जा सकता है। तो कुल मिलाकर आज के दौर में डेटाबेस बहुत इंपॉर्टेंट है।
डेटाबेस की धारणाएं:-
डेटाबेस सूचना या डाटा का एक ऐसा व्यवस्था संग्रह होता है जिसे हम किसी भी सूचना को सरलता से प्राप्त कर सकते हैं। डाटा बेस व्यवस्थित इसलिए होता है क्योंकि इसमें किसी भी डाटा या सूचना को एक निश्चित स्थान पर पहले से तय किए हुए रूप में रखा जाता है। ताकि कभी भी आवश्यकता पड़ने पर उसे आसानी से ढूंढ कर प्रयोग किया जा सके डेटाबेस कहते हैं।
डेटाबेस के फंडामेंटल?:-
डेटाबेस को परिभाषित करने के लिए 2 पदों की आवश्यकता होती है जिसका विवरण इस प्रकार है-
1. एक डाटा किसी वस्तु व्यक्ति या समूह के बारे में किसी तत्व जानकारी को डाटा कहा जाता है। किसी व्यक्ति का नाम किसी वस्तु का वजन तथा मूल किसी कक्षा के विद्यार्थी उम्र आदि यह सभी डाटा के उदाहरण है।
2. सूचना जब किसी डाटा को सार्थक तथा उपयोगी बनाने के लिए संसाधित व्यवस्थित संचारित किया जाता है उसे हम सूचना कहते हैं।
डेटाबेस के अवयव:-
टेबल, फील्ड, रिकॉर्ड, क्वेरीज, फार्म, रिपोर्टर्स आदि डेटाबेस के अवयव होते हैं। जिनकी सहायता से एक सफल डेटाबेस को तैयार किया जाता है। एक डेटाबेस विभिन्न प्रकार के अवयवों से मिलकर बना होता है। डाटाबेस का प्रत्येक अवयव ऑब्जेक्ट कहलाता है। प्रत्येक डेटाबेस फाइल में आप अपने डाटा को विभिन्न सारणी में विभाजित कर सकते हैं ।फार्म के माध्यम से सारणी के डेटा देख सकते हैं। नया डाटा जोड़ सकते हैं, तथा अपडेट भी कर सकते हैं।
क्वेरीज के माध्यम से आवश्यकतानुसार सारणी में से डाटा को खोज सकते हैं तथा पुनः प्राप्त कर सकते हैं। रिपोर्ट के माध्यम से डाटा का विशेषण तथा डाटा को एक विशेष लेआउट में प्रिंट कर सकते हैं।
डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली:-
कंप्यूटरीकृत डेटाबेस के निर्माण तथा रखरखाव के लिए हमें एक विशेष प्रकार के सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है जिससे हम डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली कहते हैं।
डेटाबेस की मुख्य विशेषताएं होते हैं:-
1. डेटाबेस का निर्माण करना।
2. नए डेटाबेस को शामिल कर लिया जोड़ना।
3. वर्तमान डाटा को संपादित करना।
4. डाटा को अस्थाई स्थाई रूप से मिटाना।
5. सूचना पत्र ढूंढना या प्राप्त करना।
6. डाटा को क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित करना।
7. आकर्षक अथवा अर्थपूर्ण रिपोर्टर को डिजाइन करना है या प्रिंट करना।
डेटाबेस की संरचना:-
डेटाबेस की संरचना तीन इस तरह से मिलकर बनी होती है जिसका विवरण इस प्रकार है-
आंतरिक स्तर, विचार संबंधी स्तर और बाहरी स्तर।
डेटाबेस के लाभ:-
1. डाटा के दोहराव में कमी।
2. डाटा की स्थिरता।
3. डाटा की साझेदारी।
4. डेटा की सुरक्षा।
5. नाटक की संपूर्णता
डेटाबेस के अनुपयोगी क्षेत्र:-
बैंकिंग, विश्वविद्यालय, रिजर्वेशन ,क्रेडिट कार्ड के लेने, संचार, विक्रय ,वित्तीय और कर्मचारियों का HR इन सभी क्षेत्रों में डेटाबेस का उपयोग किया जाता है।
डेटाबेस रिलेशनशिप:-
यह एंटिटीज के मध्य परस्पर संबंधों को दर्शाता है। यह er-diagram में डायमंड की आकृति वाले बॉक्स के द्वारा दर्शाया जाता है। रिलेशनशिप को तीन भागों में बांटा जा सकता है।
वन टू वन ,मैन टू वन ,वन टू मैन।
डीबीएमएस का वर्गीकरण(classification of DBMS-database management system):-
A) According to number(उपयोगकर्ता के नंबर केआधार पर):-
1. Single user:-
इस डीबीएमएस पर एक समय में एक ही व्यक्ति काम कर सकता है। यह डीवीएमएस परसनल होता है जिसमें हम पर्सनल कंप्यूटर पर अपना डेटाबेस बनाते हैं।
2. Multi user:-
इस डाटा बेस पर एक समय में एक से अधिक डाटा यूजर या व्यक्ति काम कर सकते हैं। यहां एक समय में कई सारे यूजर काम कर सकते हैं। इसे multi-user कहते हैं।
B) according to architecture (संरचना के आधार पर):-
1. Client server architecture:-
ऐसे डीबीएमएस पर कई सारे क्लाइंट होते हैं। परंतु सर्वर एक ही होता है। इसमें सर्वर की संख्या एक होती है किंतु क्लाइंट की संख्या मल्टीपल हो सकती है। क्लाइंट सर्वर पर पहले रिक्वेस्ट भेजता है, सर्वर के द्वारा दी गई रिक्वेस्ट के अनुसार उसे वापस रिस्पांस यानी जवाब देता है।
2.DDBMS (distributed database management system):-
इसमें भी एक सर्वर कंप्यूटर होता है और कई सारे क्लाइंट जुड़े होते हैं। परंतु इसमें जब डिस्ट्रीब्यूटर डीडीबीएमएस में सर्वर कंप्यूटर नेटवर्क में कोई डाटा भेजता है तो वह डाटा सिर्फ पर्टिकुलर एक को रिस्पांस नहीं होता यह जो डाटा होता है प्रत्येक सिस्टम को रिस्पांस होता है। ज्ञानी इस डाटा में जुड़े प्रत्येक क्लाइंट को एक-एक कॉपी प्राप्त होगी।
C) according to Database models:–
ऐसे नियम और स्टैंडर्ड जो यह बताते हैं कि डाटा के अंदर हम डाटा को ऑर्गेनाइज कैसे करेंगे और स्टोर कैसे करेंगे ऐसे मॉडल को डाटाबेस मॉडल्स कहाजाता है। जी ऐसे डाटा स्ट्रक्चर है जिसके अंदर हम डाटा को ऑर्गेनाइजर कर सकते हैं।

1.Hierarchical model :-
जैसे किसी ऑर्गेनाइजेशन में ऑर्गेनाइजेशनल चार्ट होते हैं उसी तरह hierarchical मॉडल में रिकॉर्ड को अरेंज किया जाता है। hierarchical मॉडल में भी हमारे पास जो हम रिकॉर्ड को अरेंज करते हैं। जो भी रिकॉर्ड हम hierarchical मॉडल में स्टोर करवाएंगे उनको हम नोड कहते हैं।
2. Network model:-
यह hierarchical मॉडल से ज्यादा फ्लैक्सिबल होता है। इसमें एक चाइल्ड के मल्टीपल पैरंट भी हो सकते हैं। यहां चाइल्ड नोड को एरो के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसमें हमें मल्टीपल चाइल्ड मिलेंगे और मल्टीपल पैरंट मिलेंगे जिससे बनाने में मुश्किल हो सकती है।
3. Relational model:-
यह मॉडल बहुत ज्यादा फेमस मॉडल होता है। यह सबसे ज्यादा यूज होने वाला मॉडल है। यह hierarchical मॉडल से ज्यादा फ्लैक्सिबल है। रिलेशनल मॉडल के अंदर मेन चीज रिलेशन होता है। रिलेशन एक ऐसी टर्म है जो हम टेबल्स के लिए यूज करते हैं। इसमें जो काम होता है वह रिलेशन में होता है।Dr.E.F codd ने रिलेशनल मॉडल का इंट्रोड्यूस्ड करवाया था।
Database का इतिहास:-
आरंभ मेंनुअल सिस्टम 1950 में पेपर में डाटा को रिकॉर्ड करके रखा जाता था। जैसे रजिस्टर में, फाइल में इसमें huge मैन पावर लगता था। उस डाटा को राइट करने के लिए, उस डाटा को सर्च करने के लिए जिसमें अननेसेसरी टाइम वेस्ट होता था।
इसके बाद 1960 में जो डाटा प्रोसेसिंग जो कॉन्सेप्ट मैग्नेटिक टेप के रूप में फील करने लगे। यानी मैग्नेटिक टेप के रूप में स्टोर करने लगे। इसमें इनपुट के लिए हम पंच कार्ड का उपयोग करते थे। जिसमें हम डाटा स्टोर करके रखते थे। इसके बाद वह रीड होता था। यह टेक्नोलॉजी भी उतनी अच्छी नहीं थी।
और इसके बाद 1960 और 1970 में हार्ड डिस्क को शामिल किया गया। हार्ड डिस्क में अच्छी बात यह थी की वह डायरेक्ट एक्सेस देते थे डाटा को। जो कि काफी फास्ट एक्सेस प्रोवाइड करता था। अब हम डाटा को फाइल में स्टोर करने लगे थे। 1968 में जब डाटा फ्लैट फाइल में स्टोर होने लगा तब फाइल बेस सिस्टम के माध्यम से डाटा को मेंटेन करके रखने लगे। मतलब फाइल में हम डाटा को स्टोर करके रखने लगे। यहां डाटा को मेंटेन करना काफी मुश्किल हो जाता था। यह फाइल बेस सिस्टम में सिक्योर नहीं था।
इसके बाद 1968 और 1990 में पहला मॉडल आया डेटाबेस का, जोकि टेबल्स के फॉर्म में नहीं था। hierarchical मॉडल यह ट्री के स्ट्रक्चर का मॉडल था, जिसे आईबीएम ने लांच किया था। आईपीएम का यह पहला hierarchical मॉडल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम था। इसके भी काफी एडवांटेजेस थे। जैसे इसमें सर्चिंग एफिशिएंटली परफॉर्म करता था, यह फाइल सिक्योर में अच्छा था। लेकिन यह काफी कॉन्प्लेक्स था, इससे मैनेज करना मुश्किल था।
इसके बाद नेटवर्क मॉडल आया जिससे Charles backman ने इनीशिएट किया। चार्ल्सबैंक मैन ने पहला डीबीएमएस Honeywell integrated data store में डिवेलप किया। इस ग्रुप का नाम CODASYL दीया ।CODASYL and DBTG इन दोनों को मिलाकर एक नेटवर्क मॉडल बना। IDMS(information data management system) यह मोस्ट पॉपुलर नेटवर्क मॉडल है।
CODASYL का फुल फॉर्म conference phone data system language और DBTG का फुल फॉर्म database task group इन दोनों के कंबाइन से मिला था नेटवर्क मॉडल।
1980 ईस्वी में और जो आज यूज़ हो रहा हुआ डाटा रिलेशनल डेटाबेस होता है जो टेबल्स के फॉर्म में स्टोर हो रहा है। सबसे पहले रिलेशनल डाटा मॉडल Ted codd ने खोजा था। इसके बाद रिलेशनल डेटाबेस का दो प्रोजेक्ट में काम चालू हुआ। तो एक था आईबीएम का सिस्टम आर प्रोटोटाइप, और दूसरा यूसी UC इसमें यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया ने अपना प्रोटोटाइप इनक्रीस किया।
सन 2000 में एक्सएमएल आया और स्टैंडर्ड आए और इसका यूज होने लगा। इसके बाद बहुत सारे क्लाउड स्टोरेज आ गए। जैसे अगर हम गूगल पर बात करें तो गूगल का खुद का क्लाउड बिग टेबल, याहू का है पी नर्स, Amazon dynamos ।