Operating System को छोटे रूप में Os कहते हैं। यह एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम होता है जो अन्य कंप्यूटर प्रोग्रामों का संचालन करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) उपयोगिता या यूजर तथा कंप्यूटर सिस्टम के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है। यह हमारी निर्देशों को कंप्यूटर को समझाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा अन्य सॉफ्टवेयर प्रोग्राम तथा हार्डवेयर का संचालन किया जाता है।
कंप्यूटर अपना कार्य करने के लिए विभिन्न डिवाइस तथा प्रोग्राम्स का सहारा लेता है, डिवाइस तथा प्रोग्राम्स को संभालने के लिए भी एक अलग और विशिष्ट कंप्यूटर प्रोग्राम होता है।
इस विशेष तथा मास्टर प्रोग्राम को ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के नाम से जाना जाता है जो कंप्यूटर सिस्टम में जान फूंकता है ,इस प्रोग्राम के बिना कंप्यूटर मृत बॉक्स के समान है।
इसलिए, इस बेहद जरूरी कंप्यूटर प्रोग्राम के बारे में बेसिक जानकारी सभी कंप्यूटर यूजर्स को होनी चाहिए। तभी कंप्यूटर का उपयोग सही ढंग से करने में मदद मिलेगी।
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के बिना कंप्यूटर एक निर्जीव वस्तु होता है। क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम बेजान हार्डवेयर को काम करने लायक बनाता है। और हार्डवेयर के ऊपर अन्य सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को भी चलने लायक सुविधा प्रदान करता है।
कंप्यूटर के लिए OS का होना अति आवश्यक है। बिना ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के हम किसी भी कंप्यूटर को संचालित नहीं कर सकते। ऑपरेटिंग सिस्टम एक सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है। जो किसी भी प्रोग्राम के लिए जरूरी है। OS (Operating System) एक सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है जो किसी भी प्रोग्राम के एजुकेशन के लिए अनिवार्य है। कोई भी प्रोग्राम चल एजुकेशन के लिए चला जाता है तो सबसे पहले वहां ऑपरेटिंग सिस्टम के संपर्क में ही जाता है। इसके बाद कंप्यूटर मशीन में चला जाता हैं।
यह पूरे सिस्टम को कंट्रोल करता है। और साथ ही साथ उसे व्यवस्थित करने का कार्य भी करता है। इसलिए इसे मास्टर कंट्रोल प्रोग्राम भी कहा जाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) प्रोग्रामो का समूह होता है। यह यूज़र और कंप्यूटर हार्डवेयर के मध्य इंटरफ़ेस का कार्य करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर के विभिन्न अंगों को निर्देश देने का कार्य करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) कुछ विशेष प्रोग्राम का ऐसा व्यवस्थित समूह होता है जो किसी कंप्यूटर के संपूर्ण क्रियाकलापों को नियंत्रित करता है, एवं वह कंप्यूटर के साधनों के उपयोग पर नजर रखने और व्यवस्थित करने में हमारी सहायता करता है। ऑपरेटिंग सिस्टम आवश्यक होने पर उन सभी प्रोग्रामों को चालू करता है वास्तव में यह उपयोगकर्ता और कंप्यूटर हार्डवेयर के बीच इंटरफ़ेस का कार्य करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) की परिभाषा:-
OS (Operating System) एक ऐसा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम समूह है जो मानव एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर हार्डवेयर के बीच संवाद स्थापित करता है। यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो कंप्यूटर के विभिन्न अंगों को निर्देश देता है की किस प्रकार से प्रोसेसिंग का कार्य सफल होगा।
ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) की आवश्यकता एवं कार्य:-
यह मास्टर प्रोग्राम(operating system) संपूर्ण कंप्यूटर का नियंत्रण एवं संचालन करता है। इसी के द्वारा कंप्यूटर का प्रबंधन किया जाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) उपयोगकर्ता को कंप्यूटर पर आसानी से कार्य करने की योग्यता देता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ प्रमुख कार्य (functions of operating system in Hindi):-

1. कंप्यूटर सिस्टम को सरल बनाता है:-
कंप्यूटर सिस्टम यूजर द्वारा प्रविष्ट डाटा को बायनरी संख्या(0,1) में ही समझता है, लेकिन यूज़र के लिए बायनरी में निर्देश देना संभव नहीं है इसलिए यूजर इंटरफेस को उसकी भाषा में ही तैयार करने की सहूलियत OS से मिलती है। इसलिए हम और आप अपनी खुद की भाषा में कंप्यूटर को निर्देश देकर मनचाहा काम करवा लेते हैं यह सब संभव होता है OS के द्वारा।
2. हार्डवेयर सूचनाओं को छिपा लेता है:-
जब यूजर कंप्यूटर को निर्देश देता है तो हार्डवेयर और OS के बीच जो वार्तालाप होती है उसके बारे में हम यानी एंड यूजर को पता नहीं चलता है क्योंकि यह जानकारी हमारे लिए अनुपयोगी होती है इसलिए इसे छिपा दिया जाता है। इस प्रकार हमें केवल जवाब और आउटपुट ही दिखाई देता है। हमारे द्वारा दिया गया इनपुट से की प्रोसेसिंग हमें दिखाई नहीं जाती है। यह सब कुछ हार्डवेयर और OS के बीच ही घटित हो जाता है। इसका फायदा यह होता है कि यूजर्स का सामना हार्डवेयर की भारी-भरकम सूचनाओं से नहीं होता है।
3. सरल माध्यम उपलब्ध करवाता है:-
आधुनिक OS GUI(graphical user interface) पर आधारित है। यानी कमांड देने के लिए किसी भी प्रकार की कोडिंग अथवा प्रोग्रामिंग की जरूरत नहीं पड़ती है। आप जिस काम को करना चाहते हैं उसे बटन अथवा आइकन के जरिए ही पूर्ण कर पाते हैं। आपके डेस्कटॉप आईकॉन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यहां से आपको कंप्यूटर फाइल पर जाना हो तो आप बस माय कंप्यूटर आइकन पर क्लिक करते हैं और पहुंच जाते हैं।
शुरुआती कमांड लाइन इंटरफेस (जो आज भी कई OS में इस्तेमाल होता है) की तुलना में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस ज्यादा सरल, user-friendly तथा प्रभाव कारी साबित हुआ है। शायद यही कारण है कि इसके लिए कंप्यूटर यूजर्स पैसा चुकाने के लिए तैयार है।
4. मध्यस्थता करता है:-
ऑपरेटिंग सिस्टम का एक काम मध्यस्थता करना भी होता है। यह यूजर तथा हार्डवेयर के बीच की कड़ी है। लूजर जो भी निर्देश कंप्यूटर को देता है। वह OS के रास्ते ही संबंधित हार्डवेयर तक पहुंचता है। मान लीजिए, आप कंप्यूटर में गाना बजाना चाहते हैं तो आप गाना प्ले करते हैं, यह निर्देश आपने कंप्यूटर सिस्टम में इनस्टॉल OS के जरिए दिया है। इस निर्देश को ऑपरेटिंग सिस्टम आवाज हार्डवेयर यानी स्पीकर को पहुंचाता है, और इस तरह आपको आवाज के रूप में आउटपुट मिलता है।
5. संसाधनों का प्रबंधन करता है:-
आपकी कंप्यूटर सिस्टम में मौजूद संसाधनों का प्रबंधन तथा आवंटन भी OS के द्वारा ही किया जाता है। किसी कार्य विशेष को करने के लिए कितनी मेमोरी आवंटित करनी है, किस हार्डवेयर को सूचना देनी है यह सभी कार्य OS ही करता है।
मान लीजिए, आप 3 एमबी का गाना नए फोल्डर में डाउनलोड करना चाहते हैं, तो OS पहले इस फोल्डर के लिए 3MB जगह देगा फिर फाइल मैनेजर इस काम को करेगा।
वैसे ही OS भी अपने आप को विकसित करते गए। OS को कई श्रेणियों में बांटा गया है ।
ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ प्रमुख प्रकार:(types of operating system):–
1. Multi user operating system:-
यह ऑपरेटिंग सिस्टम एक से अधिक उपयोगकर्ताओं को एक साथ कार्य करने की सुविधा प्रदान करता है। इस OS पर एक समय में सैकड़ों उपयोगकर्ता अपना अपना कार्य कर सकते हैं।
2. Single user operating system:-
सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम एक समय में सिर्फ एक ही उपयोगकर्ता को कार्य करने देता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम पर एक समय में कई उपयोगकर्ता कार्य नहीं कर सकते हैं।
3. Multitasking operating system:-
यह operating system उपयोगकर्ता को एक साथ कई अलग-अलग प्रोग्राम्स को चलाने की सुविधा देता है। इस ऑपरेटिंग सिस्टम पर आप एक समय में ईमेल भी लिख सकते हैं, और साथ ही अपने मित्रों से चैट भी कर सकते हैं।
4. Multi processing operating system:-
यह operating system एक प्रोग्राम को एक से अधिक सीपीयू पर चलाने की सुविधा देता है।
5. Multi threading operating system:-
यह operating system एक प्रोग्राम के विभिन्न भागों को एक साथ चलाने देता है।
6. Real time operating system:-
रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोगकर्ता द्वारा किए गए इनपुट पर तुरंत प्रक्रिया करता है। विंडोज operating system इसका सबसे अच्छा उदाहरण है।
ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के लिए बहुत ही आवश्यक प्रोग्राम है। इसके बिना कंप्यूटर एक निर्जीव वस्तु मात्र है। यह कहना गलत नहीं है। operating system के बिना कंप्यूटर का उपयोग करना बहुत ही कठिन कार्य साबित हो सकता है।
7. Simple batch system:-
यह सबसे पुराने सिस्टम है। जिसमें कोई डायरेक्ट इंटरेक्शन नहीं था। यूज़र और कंप्यूटर के बीच में।
इस सिस्टम में यूजर को टास्क या जॉब को प्रोसेस करने के लिए कोई स्टोरेज यूनिट में लेकर आना पड़ता था और उसको कंप्यूटर ऑपरेटर के पास सबमिट करना पड़ता था।
इसमें बहुत सारे जॉब्स को एक बैच या लाइन में कंप्यूटर को दिया जाता था।
कुछ दिनों के अंदर या फिर कुछ महीनों के अंदर वह जॉब प्रोसेस होती थी और एक आउटपुट डिवाइस में आउटपुट स्टोर होता था।
यह सिस्टम जॉब्स को बैच में प्रोसेस करता था इसलिए इसका नाम भी बैच मोड operating system बोला जाता था।

8. Multiprogramming batch system:-
इस operating system में मेमोरी में एक जॉब को उठाया जाता था और उसको एक्सक्यूट किया जाता था।
जब operating system एक जॉब को प्रोसेस करता रहता है, अगर उसी दौरान जॉब कोi/o चाहिए तो ऑपरेटिंग सिस्टम दूसरे जॉब को सीपीयू को दे देता है और पहले वाले को I/o इस वजह से सीपीयू हमेशा बिजी रहता है।
मेमोरी में जितने जॉब्स रहते हैं वो हमेशा डिस्क में जितने जॉब है उन से कम होते हैं।
अगर बहुत सारे जॉब लाइन में रहते हैं तो operating system डिसाइड करता है कौन सी जॉब पहले प्रोसेस होगी।
इस ऑपरेटिंग सिस्टम में सीपीयू कभी भी आइडल होकर नहीं रहता।
9. Multiprocessor system:-
मल्टिप्रोसेसर सिस्टम में बहुत सारे प्रोसेसर एक कॉमन फिजिकल मेमोरी का इस्तेमाल करते हैं।
कंप्यूटिंग पावर काफी तेज होता है।
यह सारे प्रोसेसर एक ऑपरेटिंग सिस्टम के अंदर काम करते हैं।
रफ्तार खूब ज्यादा क्योंकि मल्टिप्रोसेसर का इस्तेमाल होता है।
बहुत सारे टास्क एक साथ प्रोसेस होते हैं। इसलिए यहां पर सिस्टम प्रवाह बढ़ जाता है जिसका मतलब है 1 सेकंड में कितने जॉब प्रोसेस हो सकते हैं।
इस operating system में टास्क को सबटास्क में डिवाइड किया जाता है और हर एक सबटास्क को अलग-अलग प्रोसेसर को दिया जाता है। इसी वजह से एक टास्क काफी कम वक्त में कंप्लीट हो जाता है।
10. डिस्ट्रीब्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम(distributed operating system):-
डिस्ट्रीब्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल करने का एक ही उद्देश्य है, क्योंकि दुनिया के पास पावरफुल ऑपरेटिंग सिस्टम है और माइक्रो प्रोसेसर काफी सस्ते हो गए हैं और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी में काफी सुधार है।
इस एडवांसमेंट की वजह से अब डिस्ट्रीब्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम को बनाया गया जिसका दाम काफी सस्ता होता है और दूर-दूर वाले कंप्यूटर को नेटवर्क के जरिए रोक के रखता है।
जितने भी दूर-दूर के रिसोर्सेज है उनको आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे रिसोर्सेज खाली नहीं रहते।
इनसे प्रोसेसिंग फास्ट होती है।
जो होस्ट मशीन है उसके ऊपर लोड कम होता है क्योंकि लोड डिस्ट्रीब्यूटर हो जाता है।
11. Real time operating system:-
यह सब से एडवांस ऑपरेटिंग सिस्टम है। जोकि रियल टाइम प्रोसेस करता है इसका मतलब है रेलवे टिकट बुकिंग, सैटेलाइट छोड़ते वक्त इन सब में अगर 1 सेकंड की भी देरी हुई तो।
इस ऑपरेटिंग सिस्टम में बिल्कुल भी आइडल नहीं रहता यह दो प्रकार के होते हैं-
1. हार्ड रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम-यह वह ऑपरेटिंग सिस्टम है जो कि जिस वक्त के अंदर टास्क कंप्लीट करने का वक्त दिया जाता है उसी वक्त के अंदर काम खत्म हो जाता है।
2. सॉफ्ट रियल टाइम-सॉफ्टवेयर रियल टाइम में वक्त की पाबंदी थोड़ी कम होती है, इसमें अगर एक टास्क चल रहा है और उसी वक्त कोई दूसरा टास्क आ जाए तो नए टास्क को पहले प्रायोरिटी दिया जाता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं:-
1. प्राइमरी मेमोरी को ट्रैक करता है। जैसे-कहां इस्तेमाल हो रही है? कितनी मेमोरी इस्तेमाल हो रही है? और मांगने पर मेमोरी उपलब्ध करवाता है।
2. प्रोसेसर का ध्यान रखता है। अर्थात मैनेज करता है।
3. कंप्यूटर से जुड़े हुए सभी डिवाइसों को मैनेज करता है।
4. कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों को मैनेज करता है।
5. पासवर्ड तथा अन्य तकनीकों के माध्यम से सुरक्षा प्रदान करता है।
6. कंप्यूटर द्वारा किए जाने वाले कार्यों का ध्यान रखता है और उनका रिकॉर्ड रखता है।
7. Errors और खतरों से अवगत कराता है।
8. यूजर और कंप्यूटर प्रोग्राम्स के बीच समन्वय बनाता है।
आपने क्या सीखा?:-
इस लेख में हमने जाना कि कंप्यूटर के हार्डवेयर तथा अन्य संसाधनों का संचालन ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा किया जाता है। इसके अलावा ऑपरेटिंग सिस्टम की आवश्यकता और उसके कुछ श्रेणियों से भी अवगत हुए।
प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम:-
1. Windows OS:-
ऑपरेटिंग सिस्टम परिचय(operating system introduction):-
जब भी हम कंप्यूटर को चलाते हैं तब यह ऑपरेटिंग सिस्टम ही हमें कंप्यूटर इस्तेमाल करने का जरिया देता है।
जैसे हम गाना सुनते हैं, वर्ड डॉक्युमेंट के ऊपर डबल क्लिक करते हैं, तीन-चार विंडो खोल कर बैठ जाते हो, कीबोर्ड में कुछ लिखते हैं, और कुछ फाइल कंप्यूटर में सेव करते हैं, तो यह सब हम बिना ऑपरेटिंग सिस्टम के नहीं कर पाते।
कंप्यूटर बहुत सारे काम करता है, लेकिन सबसे पहले जब हम कंप्यूटर को ऑन करते हैं तब ऑपरेटिंग सिस्टम पहले मेन मेमोरी मतलब रैम में लोड होता है। और उसके बाद यह यूजर सॉफ्टवेयर को कौन-कौन से हार्डवेयर चाहिए वह सबका allocate करता है।
2. Mac OS
मैक ओएस एक ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसका उपयोग हम एप्पल कि डेस्कटॉप में करते हैं। अपनी डिटेल एक नया आर्टिकल लिखा है और आप उसे जाकर पढ़ सकते हैं।
3. Linux OS
लिनक्स एक ऑपरेटिंग सिस्टम है। ऑपरेटिंग सिस्टम एक कंप्यूटर उपयोगकर्ता और कंप्यूटर के हार्डवेयर के बीच एक इंटरफ़ेस होता है। जिसमें यूजर्स कंप्यूटर के साथ आसानी से इंटरक्ट कर सकता है।
Os सॉफ्टवेयर का एक संग्रह है। जो कंप्यूटर हार्डवेयर रिसोर्सेज को मैनेज करता है। और कंप्यूटर के कार्यक्रमों के लिए सामान्य सेवाएं प्रदान करता है। लिनक्स सबसे लोकप्रिय और मल्टी ऑपरेटिंग सिस्टम है। जो आपके डेस्कटॉप कोर लैपटॉप से जुड़े सभी हार्डवेयर रिसोर्सेज को मैनेज करता है।
क्लिनिक्स यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का एक बहुत ही मशहूर वर्जन है। गेट फ्री तथा ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर सिस्टम है। इसका मतलब है कि एक डेवलपर पर इंटरनेट पर मुफ्त लिनक्स लिंक को अपने अनुसार मॉडिफाई कर कमर्शियल तथा पर्सनल उपयोग में ले सकता है। लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को वास्तविक रूप से पर्सनल कंप्यूटर के लिए विकसित किया गया था।
लेकिन बाद ने इस ऑपरेटिंग सिस्टम से अनेक प्लेटफार्म जैसे मोबाइल स्मार्ट टीवी गेमिंग कंसोल यहां तक की वाहनों में भी इस ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है। लिनक्स यूनिक्स की तरह है मिलता-जुलता ऑपरेटिंग सिस्टम है और इसका इस्तेमाल सर्वर तथा कंप्यूटर डिवाइस सिस्टम में सबसे अधिक होता है।

Linux को किसने और कब बनाया?:-
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को Linus Torvalds ने 1991 में विकसित किया और यह AT &T’s laboratories द्वारा जनरल पब्लिक लाइसेंस GPL के तहत जारी किया गया। जब लीनस यूनिवर्सिटी आफ हेलसिंकी के छात्र थे तब unix ऑपरेटिंग सिस्टम का एक वर्जन मिनिक्स नामक os का उपयोग कर रहे थे।
जब लिनक्स और कुछ यूजर्स ने यह पाया कि रीमिक्स में कुछ बदलाव करने पर यह os और भी बेहतर तरीके से काम कर सकता है तब उन्होंने इसके निर्माता Andrew Tanenbaum से मिनिक्स में मॉडिफिकेशन और सुधार करने का अनुरोध किया कि यह बदलाव आवश्यक नहीं है
और उन्होंने बदलाव नहीं की यही वह समय था जब लीनस ने अपना वेटिंग सिस्टम बनाने का फैसला किया जो उपयोगकर्ता की कॉमेंट्स और सुधारों के सुझाव को ध्यान में रखेगा।
लीनस सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के छात्र थे तो उसने सी लैंग्वेज में कोड लिखना शुरू किया। Linux OS का कोड लगभग 95 % सी में लिखा गया। और बाकी की कोडिंग उन्होंने असेंबली लैंग्वेज और अन्य लैंग्वेज इसमें लिखा। कोडिंग करने के बाद लीनस ने उस ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम अपने पहले नाम Linus और Unix के नाम को जोड़कर लिनक्स नाम रखा।
लिनक्स को यूनिक्स के अनुकूल डिजाइन किया गया था इसीलिए बहुत से फंक्शनैलिटी यूनिक्स से मिलते जुलते हैं। लिनक्स और यूनिक्स कई मायनों में समान है लेकिन यूनिक्स फ्री नहीं है जबकि लिनक्स फ्री में उपलब्ध होता है। इसके अलावा लिनक्स कंप्यूटर्स के लिए बहुत ही भरोसेमंद ऑपरेटिंग सिस्टम है।
क्योंकि यह अच्छे सिक्योरिटी फीचर्स प्रदान करता है। जो यूजर के फाइल और डाटा को इन सिक्योर फाइल में रखने की सुविधा देता है। जैसे पासवर्ड प्रोटेक्शन और कंट्रोल एक्सेस।
लिनक्स के कॉम्पोनेंट:-
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के मुख्य तीन कॉम्पोनेंट्स है-
1. Hardware :-इसमें पेरीफेरल डिवाइस जैसे कि रैम हार्ड डिस्क ड्राइव और सीपीओ मिलकर लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए हार्डवेयर लेयर का निर्माण करते हैं।
2. Kernel:-यह लिनक्स का मुख्य भाग होता है। यह इस ऑपरेटिंग सिस्टम के सभी प्रमुख गतिविधियों के लिए जिम्मेदार होता है। ये इंटरनल हार्डवेयर के साथ सीधा इंटरेक्ट करता है। Kernel सिस्टम साथ एप्लीकेशन प्रोग्राम में हार्डवेयर के लोअर लेवल हार्डवेयर के details को पाने की सेवाएं प्रदान करता है।
3.shell system utility :- shell उपयोगकर्ता औरkernel के बीच एक इंटरफेस है। जब उपयोगकर्ता से कर्नल में कार्यों की कंपलेक्सिटी को पाता है। उपयोगकर्ता के कमांड को स्वीकार करता है। और उस पर एक्शन भी लेता है। सिस्टम यूटिलिटी यूजर को ऑपरेटिंग सिस्टम के तरह के फंक्शंस का उपयोग करने के लिए सेवा प्रदान करती है। व्यक्तिगत और विशेष कार्यों का उपयोग सिस्टम यूटिलिटी के जरिए ही किया जाता है।
Linux के बेहतरीन features:-
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम दूसरे os सिस्टम से काफी बेहतर है। और इसके बहुत सारे फीचर्स है।
1. Linux open source operating system:- लिनक्स एक ओपन सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है। जिससे कि यह इंटरनेट पर इस्तेमाल करने के लिए बिल्कुल मुफ्त में उपलब्ध है। इसमें कोई भी यूज़र या डेवलपर अपने हिसाब से इस्तेमाल कर सकता है। इसके जरिए हम इसके फंक्शनैलिटी बढ़ाकर इसको और अच्छा बना सकते हैं।
2. Linux में पोटेबिलिटी मुख्य विशेषताओं में से एक है। जिसने लिनक्स को इसके यूज़र के बीच इतना लोकप्रिय बना दिया लेकिन पोर्टेबिलिटी का मतलब यह नहीं कि यह सिस्टम सॉफ्टवेयर के आकार में छोटा है और इससे पेन ड्राइव, सीडी और मेमोरी कार्ड पर ले जाया जा सकता है। इसके बजाय यहां पोटेबिलिटी का मतलब है कि लिनक्स को और इसके एप्लीकेशन को एक ही तरह से विभिन्न प्रकार के हार्डवेयर पर काम कर सकते हैं।
3. लिनक्स एक multi-user और मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसमें एक साथ एक से ज्यादा यूजर्स कंप्यूटर के हार्डवेयर को एक्सेस कर सकते हैं। और इस्तेमाल कर सकते हैं।
4. Linux में मल्टीटास्किंग का फीचर भी उपलब्ध है। जिससे कि एक यूजर एक ही समय में एक से ज्यादा प्रोग्राम टास्क या सॉफ्टवेयर को रन भी कर सकता है।
5. Linux सुरक्षा किसी भी os का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। उन संगठनों या उपयोगकर्ता के लिए जो अपने गोपनीय कार्यों के लिए सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं। लिनक्स अपने उपयोगकर्ताओं को उनके डाटा और सिस्टम को अनऑथराइज्ड एक्सेस से बचाने के लिए कई सिक्योरिटी प्रदान करता हैं। ये पुरी तरह से संकट मुक्त ऑपरेटिंग सिस्टम है।
और इसमें वायरस या मालवेयर जैसे कोई भी समस्याएं मौजूद नहीं होती है। जो आपके कंप्यूटर की गति को धीमी कर दे। दुनिया भर में हजारों कंपनियां सरकारी लिनक्स ओ यस ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग इसके पोटेबिलिटी या समय और धन के कारण कर रहे हैं। गूगल, ऐमाजोन और फेसबुक जैसे कंपनियां अपने सरवर की सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं।
क्योंकि यह अत्यधिक विश्वसनीय और स्थिर ऑपरेटिंग सिस्टम है। लिनक्स का उपयोग केवल पर्सनल कंप्यूटर और क्रोमबुक्स में ही नहीं बल्कि छोटे गैजेट्स जैसे पीडीए, मोबाइल फोन ,स्मार्ट वॉच, डिजिटल स्टोरेज डिवाइस, कैमरा आदि में भी किया जाता है। लिनक्स का इस्तेमाल बहुत से इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में किया जाता है जैसे डेल, गूगल एंड्राइड फोन, एचपी लैपटॉप, मोटरोला फोन, आदि में किया जाता है।
4. Ubuntu
5. Android OS
6. IOS
7. MS dos(Microsoft operating system):-
एमएस डॉस का पूरा नाम माइक्रोसॉफ्ट डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम है। एमएस डॉस एक कैरेक्टर यूजर इंटरफेस ऑपरेटिंग सिस्टम है। जो लगातार अपने कुछ विशेषताओं के साथ यूज़र को नई सुविधाएं उपलब्ध कराता है। यह सबसे लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम था।
माइक्रो कंप्यूटर में यह प्रयोग होता था। सन 1984 में इंटेल 80286 प्रोसेसर युक्त माइक्रो कंप्यूटर विकसित किए गए तथा इनमें एमएस डॉस 3.0 और एमएस डॉस 4.0 वर्जन का विकास किया गया।
माइक्रोसॉफ्ट के इस ऑपरेटिंग सिस्टम को डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम कहा गया क्योंकि जो अधिकतर डिस्क से संबंधित इनपुट आउटपुट कार्य करते थे।
एमएस डॉस एक ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर और हार्डवेयर के बीच मध्यस्थता का कार्य करता था। ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर में हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर को कंट्रोल ही नहीं करता है, उनके बीच परस्पर संबंध स्थापित करता है।
जिससे यूजर को कंप्यूटर ऑपरेट करने में कोई समस्या नहीं होती है। एमएस डॉस में कीबोर्ड की सहायता से कमांड दिए जाते हैं। डाॅस इस कमांड को समझकर उस कार्य को संपन्न करता है। और आउटपुट को प्रदर्शित करता है।
8. Symbian OS
बूटिंग क्या है?:-
बूटिंग कंप्यूटर को स्टार्ट या रिस्टार्ट करने की प्रक्रिया को कहते हैं। अर्थात कंप्यूटर को बंद या चालू करने की जो क्रिया होती है उसे बूटिंग कहा जाता है। वास्तव में बूटिंग वह प्रक्रिया है जब ऑपरेटिंग सिस्टम हार्ड डिस्क से कंप्यूटर की रैम में लोड होता है।
बूट प्रक्रिया दो प्रकार की होती है-
1. कोल्ड बूट:-जो कंप्यूटर को स्टार्ट करते हैं उसे कोल्ड बूट कहा जाता है।
2. बर्म बूट:- बर में बटवा बहुत है जब हम कंप्यूटर को चालू करते हैं और उसे रीस्टार्ट करने से जो समय लगता है चालू होने तक उसे हम बर्म बूट कहते हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रमुख कार्य:-
ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर के सफल संचालन की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम निम्न कार्य करते हैं-
1. प्रोसेसिंग प्रबंधन
2. मेमोरी प्रबंधन
3. फाइल प्रबंधन
4. इनपुट आउटपुट प्रबंधन
भारत ऑपरेटिंग सिस्टम सॉल्यूशन (एमएस विंडोज):-
1. विंडोज 95
2. विंडोज 98
4. विंडोज विस्टा
ऑपरेटिंग सिस्टम का इतिहास(history of operating system):-
जो हमारे फर्स्ट कंप्यूटर थे उनमें कोई ऑपरेटिंग सिस्टम यूज नहीं होता था। जब भी उन सिस्टम पर कोई प्रोग्राम करना होता था तो उसको कंप्लीट रिकॉर्ड किया जाता था कि उसमें कैसे रन होना है सारे के कोडिंग प्रोग्राम में ही इंक्लूड होती थी।
सबसे पहला ऑपरेटिंग सिस्टम General motors ने क्रिएट किया था 1956 में। और यह आईबीएम मैन्युफैक्चर था। यह जनरल कंप्यूटर के लिए नहीं था, सिर्फ सेंट्रल कंप्यूटर के लिए था। क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम के बगैर अगर छोटा सा भी प्रॉब्लम सॉल्व करना था कंप्यूटर पर तो वह इतना कॉन्प्लिकेटेड होता था कि उसकी कंपनी कोडिंग कि वह क्या टास्क है उसके साथ कैसे यह सारी कोडिंग प्रोग्राम में इंक्लूड होते थे।
आज के जितने कंप्यूटर है वह यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम के है। इसका विकास 1960 में हुआ था। यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को सी लैंग्वेज में लिखा गया था। इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट विंडोज डेवलप की गई। बेसिकली माइक्रोसॉफ्ट विंडोज था उसका नाम पहले एमएस डॉस था जिसका विश का 1981 में किया गया था। 1985 में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस को इंक्लूड किया गया जिसका नाम था एमएस डॉस।
आजकल जो हम विंडोज यूज कर रहे हैं उसका विकास हम कह सकते हैं कि 1990 तक हुआ था।